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खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का दोगुना विकास

Last Updated- December 05, 2022 | 4:46 PM IST

बीते चार सालों के दौरान खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का दोगुना विकास हुआ है। इस क्षेत्र की विकास दर 13.7 फीसदी पर पहुंच गई है।


 यह खुलासा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के केंद्रीय राज्य मंत्री सुबोध कांत सहाय ने राष्ट्रीय उत्पादकता परिषद द्वारा आयोजित एक पुरस्कार समारोह के दौरान किया।


सहाय ने कहा कि उन्होंने जब वर्ष 2004 में इस मंत्रालय का कार्यभार संभाला था तब इस क्षेत्र की विकास दर 7 फीसदी थी। लेकिन चार सालों के दौरान विकास की यह गति दोगुना हो 13.7 फीसदी पर पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने वर्ष 2015 तक इस क्षेत्र के विकास को 20 फीसदी पर ले जाने का लक्ष्य रखा है। लेकिन इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मंत्रालय को इस क्षेत्र में एक लाख करोड़ रुपये का निवेश करना होगा।


खाद्य प्रसंस्करण मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र के विकास के लिए राज्य सरकारों को भी आगे आना होगा। और उन्हें अपने-अपने प्रांतों में इस क्षेत्र के प्रोत्साहन के लिए कई कदम खुद उठाने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने खाद्य पैकेजिंग व इससे जुड़े अन्य कामों पर लगने वाले शुल्क को कम कर दिया है। कुछ मामले में तो सरकार ने इस शुल्क को शून्य के स्तर तक ला दिया है।


 राज्य सरकारों को भी इस उद्योग के प्रोत्साहन के लिए इनसे जुड़े उत्पादों पर लगने वाले कर को कम करना चाहिए। सहाय ने कहा कि इस औद्योगिकीकरण का फायदा किसानों को तभी मिल पाएगा जब निवेशक उनकी कृषि उपज का इस्तेमाल उत्पाद तैयार करने के लिए कच्चे माल के रूप में करेंगे।


अगर ऐसा होता है तो इससे किसानों को अपनी उपज से अच्छा लाभ मिलेगा। और मोलभाव करने की उनकी क्षमता बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की स्थिति अच्छी नहीं है क्योंकि हमारे देश में कृषि उपज व प्रसंस्करण में कोई मेल नहीं है। प्रसंस्करण के हिसाब से पैदावार करने पर किसानों को इसका समुचित लाभ मिल सकेगा। इस समारोह के दौरान खाद्य प्रसंस्करण सचिव पीआई सुवरथ्न ने कहा कि इस क्षेत्र के विकास के लिए आने वाले विचारों के 80 प्रतिशत पर अमल नहीं हो पाता है।

First Published - March 19, 2008 | 11:43 PM IST

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