पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज घरेलू तेल व गैस उत्पादकों से कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय तेल दिग्गजों के साथ तालमेल बिठाकर इस क्षेत्र में नई तकनीक लाने की कोशिश करें। प्रधान ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी (ओएएलपी) के तहत पांचवें दौर की बोली के कांट्रैक्ट पर हस्ताक्षर के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। ओएएलपी के पांचवें दौर के तहत सरकारी कंपनी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) को 11 भौगोलिक क्षेत्र की पेशकश में 7 क्षेत्र मिले हैं, जबकि ऑयल इंडिया (ओआईएल) को शेष 4 ब्लॉक मिले हैं।
प्रधान ने यह भी संकेत दिए कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय इस क्षेत्र के आंकड़ों के प्रबंधन के लिए एक अलग निकाय या कंपनी बनाने की योजना बना रही है। मंत्री ने कहा कि नई इकाई मिनरल एक्प्लोरेशन कॉर्पोरेशन (एमईसीएल) की
तरह होगी।
ओएएलपी के पांचवें दौर से उम्मीद है कि तत्काल अन्वेषण शुरू हो जाएगा, जो करीब 40 से 45 करोड़ डॉलर का होगा। इस दौर के 11 ब्लॉक में 9 अवसादी बेसिन में और 8 भूमिगत ब्लॉक (6 श्रेणी 1 बेसिन और 1-1 श्रेणी 2 और श्रेणी 3) हैं और एक अल्ट्रा डीप वाटर ब्लॉक (श्रेणी 1 बेसिन) है। मौजूदा दौर में करीब 19,800 वर्ग किलोमीटर निवेशकों के लिए खोला गया था।
ओएनजीसी को बंगाल-पूर्णिया, खंबात, गुजरात कच्छ, गुजरात सौराष्ट्र और मुंबई बेसिन मिला है। दूसरी तरफ ओआईएल को दो ब्लॉक, असम (असम शेल्फ और असम अरक्कन) और राजस्थान में मिले हैं। इस साल यह दूसरे दौर की नीलामी है।
ओएएलपी के चौथे दौर पर पेश किए गए सभी 7 ब्लॉक जनवरी में ओएनजीसी को आवंटित किए गए थे। इस दौर के बाद देश के कुल अन्वेषण क्षेत्र में 18,510 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र और जुड़ गया है।
7 ब्लॉकों में से 5 मध्य प्रदेश में हैं, जबकि एक एक राजस्थान और पश्चिम बंगाल में है। इन 7 ब्लाकों में 3 अवसादी बेसिन में फैले हैं, जिनकी संसाधन की क्षमता करीब 33 अरब बैरल तेल और तेल के बराबर गैस की है।
ओएएलपी 1 और 2 के तहत पहले ही 1,36,800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल का आवंटन किया जा चुका है। पहले 4 दौर में अगले तीन से चार साल के दौरान अन्वेषण कार्य में ही करीब 2.35 अरब डॉलर निवेश की संभावना है।
