भारतीय उपभोक्ताओं में सोने के लिए भूख हाल के वर्षों के दौरान आर्थिक अनिश्चितता के साथ तेजी से बढ़ी है। इस धातु ने पिछले एक दशक के दौरान शानदार प्रतिफल दिया है। आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर 2010 के धनतेरस से (10 ग्राम 20,000 रुपये के भाव से) सोने की कीमतें तब से 159 प्रतिशत की तेजी के साथ इस बार धनतेरस पर करीब 53,610 रुपये पर पहुंच गई हैं।
मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज में जिंस एवं मुद्रा शोध के प्रमुख नवनीत दमानी ने कहा, ‘पिछले दशक के दौरान भारत में सोने ने 159 प्रतिशत का शानदार प्रतिफल दिया है। जब इसकी तुलना इक्विटी बाजारों से की जाए तो पता चलता है कि डाउ जोंस ने समान अवधि में 154 प्रतिशत और घरेलू इक्विटी सूचकांक निफ्टी-50 ने 93 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है, जिससे सोना स्टार प्रदर्शक बन गया है और खासकर उसने भारतीय निवेशकों के लिए मुद्रास्फीति और रुपये में गिरावट के खिलाफ सुरक्षा के उद्देश्य को उचित साबित
किया है।’
हाल के समय में सोने को केंद्रीय बैंकों से शानदार खरीदारी, ईटीएफ खरीदारी में तेजी और मजबूत संस्थागत भागीदारी की वजह से मदद मिली है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक टकराव से भी सोने की कीमतों को मदद मिली है क्योंकि इन दो सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं ने व्यापार प्रतिबंध लगाए हैं और इससे इस परिसंपत्ति वर्ग में निवेश को बढ़ावा मिला। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन से भी निवेशकों ने सोने में खरीदारी पर जोर दिया, क्योंकि वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता दर्ज की गई।
हालांकि लॉकडाउन से संबंधित सख्ती घटने और कोविड-19 टीके से संबंधित खबरों के साथ इस धातु में सुधार आना शुरू हुआ है। चुनौतीपूर्ण समय में निवेशकों ने जोखिमपूर्ण परिसंपत्तियों में निवेश किया जिससे इस पीली धातु की कीमतें नरम पड़ कर 1,880 डॉलर के स्तर पर आ गईं। घरेलू तौर पर, एमसीएक्स पर सोने की कीमतें अगस्त 2020 में 56,200 की सर्वाधिक ऊंचाई पर पहुंच गई थीं।
वैश्विक केंद्रीय बैंकों की अनुकूल नीतियों और राहत को देखते हुए विश्लेषकों का मानना है कि सोने की कीमतें भविष्य में मजबूत रहेंगी। हालांकि हालात काफी हद तक इस पर निर्भर करेंगे कि वृहद स्थिति कैसी रहती है। साथ ही, यदि मौजूदा रुझान पूरे वर्ष के अनुमानों को प्रभावित करता है तो कैलेंडर वर्ष 2020 भारत में 1995 से सोने की मांग के लिए सबसे खराब वर्ष हो सकता है। वल्र्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) के अनुसार, भारत में चालू वर्ष 2020 में अब तक सोने की मांग 252 टन पर है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 496 टन थी। यदि अक्टूबर-दिसंबर 2019 की 194 टन की मांग को शामिल किया जाए तो अब तक चालू वर्ष 2020 की मांग वर्ष 2019 के 696 टन से कम रहेगी। दमानी ने कहा, ‘अल्पावधि में, कॉमेक्स गोल्ड 1,880-1,840 डॉलर के आसपास आधार बना सकता है, जबकि 1,940-1,975 ॉलर के दायरे में तेजी सीमित हो जाने का अनुमान है। वहीं घरेलू मोर्चे पर, हम 49,500-48,500 के आसपास हरेक गिरावट पर सोने की खरीदारी शुरू करने की सलाह दे रहे हैं। तेजी के संदर्भ में बात की जाए तो यह 52,000-53,000 स्तरों के आसपास सीमित है।
