वैश्विक बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। चालू त्योहारी सीजन में घरेलू बाजार में मांग भी जोरों पर है। जिसके कारण खाद्य तेलों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
पिछले महीने खाद्य तेलों के आयात शुल्क में इजाफा का मकसद आयात को हतोत्साहित करना, घरेलू उद्योग और किसानों को फायदा पहुंचाना था। जो फिलहाल पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा है।
आयात शुल्क में बढ़ोत्तरी के बावजूद चालू महीने में खाद्य तेल का आयात अधिक रहने वाला है। खाद्य तेल कारोबारियों के मुताबिक अक्टूबर महीने में वनस्पति तेल का आयात 13.50 लाख टन तक पहुंचने वाला है जो अक्टूबर महीने में वनस्पति तेल के आयात का करीब 9 साल का उच्चतम स्तर हो सकता है।
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया कि रिफाइंड तेल का आयात पिछले साल के 2.88 लाख टन की तुलना में दोगुना हो सकता है जबकि पाम तेल 7.50 लाख टन होने का अनुमान है। अक्टूबर 2023 में 6.95 लाख लीटर पाम तेल का आयात हुआ था। पिछले महीने की तुलना में तीन लाख लीटर अधिक पाम तेल के आयात होने का अनुमान है।
कच्चे और रिफाइंड पाम तेल का आयात घटने के कारण सितंबर में कुल खाद्य तेल आयात में 29 प्रतिशत की गिरावट रही है। उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के मुताबिक पिछले महीने कुल खाद्य तेल आयात 10.64 लाख टन रहा है जो पिछले वर्ष समान अवधि में 14.94 लाख टन रहा था। केंद्र सरकार ने सितंबर के दूसरे सप्ताह में खाद्य तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी थी ।
सरकार ने कच्चे पाम तेल, कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर 20 फीसदी मूल इंपोर्ट ड्यूटी लगा दी। इसकी वजह से तीनों तेलों पर कुल आयात शुल्क 5.50 फीसदी से बढ़कर 27.5 फीसदी हो गया है। जबकि रिफाइंड पाम तेल, रिफाइंड सोया तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल के आयात पर 13.75 आयात शुल्क के मुकाबले अब 35.75 फीसदी आयात शुल्क लग रही है।
पिछले एक महीने के दौरान सोयाबीन की वैश्विक कीमतों में करीब 16 फीसदी, सूरजमुखी में 12 फीसदी और पाम ऑयल में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जिसका असर घरेलू बाजार पर भी देखने को मिला।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 24 अक्टूबर को सोयाबीन तेल का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य 137 रुपये लीटर, सूरजमुखी का 142 रुपये लीटर और पाम तेल का 123 रुपये लीटर था, जबकि एक महीने पहले यह क्रमशः 127 रुपये लीटर, 129 रुपये लीटर और 110 रुपये लीटर था, जो 10-13 रुपये लीटर की वृद्धि दर्शाता है। सरसों का तेल औसतन 164 रुपये लीटर पर बिक रहा है, जबकि एक महीने पहले यह 151 रुपये लीटर पर बिक रहा था।
खाद्य तेलों की कीमतें बढ़ने की वजह से आयात शुल्क में कटौती की मांग की जा रही है। हालांकि सरकार की तरफ से स्पष्ट कर दिया गया है कि फिलहाल शुल्क में कटौती नहीं की जाएगी। सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि उद्योग पिछले महीने शुल्क वृद्धि लागू होने से पहले आयातित तेलों की कीमतों में वृद्धि न करे।
सरकार के रुख का असर उद्योग जगत पर पड़ा। एसईए ने अपने सदस्यों से पुराने स्टॉक की कीमतें न बढ़ाने और खुदरा कीमतों को 14 सितंबर से पहले के स्तर पर बनाए रखने को कहा है। एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव अस्थाना ने कहा कि उम्मीदों के विपरीत, आपूर्ति की कमी के कारण वैश्विक कीमतें बढ़ी हैं, जिससे आयात लागत और बढ़ गई है।