दालों के निजी कारोबारियों ने दाल के आयात पर सरकारी एजेंसियों को दी जा रही सब्सिडी का विस्तार करने की मांग की है।
इन कारोबारियों का कहना है कि उन्हें भी इस सब्सिडी का लाभ दिया जाए ताकि घरेलू बाजार में इसकी उपलब्धता बढ़ाई जा सके। दाल आयातकों के असोसिएशन के प्रेजिडेंट के. सी. भरतिया ने कहा कि दाल की कीमतें तभी कम हो सकती हैं जब घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति बढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसा तभी मुमकिन है जब सरकारी एजेंसियों को मिल रही 15 फीसदी की सब्सिडी का लाभ निजी कारोबारियों (आयातकों) को दिया जाए।
उन्होंने कहा कि दालों के निर्यात पर पाबंदी लगाई जा चुकी है, ऐसे में इसकी आपूर्ति पर तब तक असर नहीं पड़ेगा जब तक कि इसका आयात न किया जाए। हालांकिसरकार के इस कदम से मुद्रास्फीति को काबू में लाया जा सकता है क्योंकि इससे बाजार का नजरिया बदलेगा। भरतिया ने कहा कि अगर सरकार को लगता है कि निजी आयातक बिल दिखाकर ज्यादा सब्सिडी का दावा कर सकते हैं तो इसका भी उपाय कर दिया जाना चाहिए।
सरकारी एजेंसियों द्वारा 2007-08 के लिए 15 लाख टन दाल के आयात की अनुमति दी गई और इसके लिए उन्हें सब्सिडी दी गई। भरतिया ने कहा कि 2007-08 में भारत में 14.34 लाख टन दाल की पैदावार का अनुमान है जबकि पिछले साल 14.20 लाख टन दाल की पैदावार हुई थी।
इस तरह तीस लाख दाल की कमी हो सकती है। पिछले साल भारत ने 25 लाख टन दाल का आयात किया था और इस बार भी इतनी ही मात्रा के आयात का अनुमान है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाल की सीमित उपलब्धता है।