चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मसालों के निर्यात में भारी कमी आई है। इसकी मुख्य वजह आर्थिक मंदी की वजह से निर्यातक देशों की ओर से मांग में आई कमी और बढ़ी हुई कीमतें हैं।
हालांकि अगर रुपये के लिहाज से देखें तो भारतीय मसाला बोर्ड ने जो लक्ष्य निर्धारित किया था, उसे हासिल कर लिया गया है, लेकिन मात्रा और डॉलर के हिसाब से निर्यात में कमी आई है। ज्यादातर गिरावट दूसरी छमाही में आई है, जबकि पहली छमाही के दौरान निर्यात संतोषजनक रहा था।
काली मिर्च की कीमतें पिछले साल की तुलना में बढ़कर औसतन 100 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं, जबकि धनिया की कीमतों में 65 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है। अप्रैल-फरवरी के दौरान वर्तमान वित्त वर्ष में मात्रा के लिहाज से 2 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है।
इस साल निर्यात के क्षेत्र में लगातार गिरावट का दौर रहा, जबकि रुपये के हिसाब से 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अप्रैल से अगस्त के दौरान मात्रा के लिहाज से निर्यात में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, लेकिन उसके बाद निर्यात में गिरावट आई।
अप्रैल-सितंबर के दौरान विकास दर घटकर 8 प्रतिशत रह गई। अप्रैल अक्टूबर के दौरान निर्यात में 7 प्रतिशत और अप्रैल-दिसंबर 2008-09 के दौरान निर्यात में बढ़त 3 प्रतिशत रह गई। भारत के मसालों का निर्यात यूरोप और अमेरिका में घटा है। वहीं कनाडा जैसे परंपरागत निर्यातकों ने भी अपनी लदान कम कर दी।
वहीं जापान, कोरिया और ताइवान जैसे गैर परंपरागत आयातक देशों में निर्यात बढ़ा है। निर्यात में आई कमी की एक वजह मसालों की कीमतों में बढ़ोतरी भी है। देश से चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-फरवरी माह के दौरान कुल 4590.50 करोड़ रुपये के 395755 टन मसालों का निर्यात हुआ।
पिछले साल इसी अवधि के दौरान 386,875 टन मसालों का निर्यात हुआ था, जिसकी कीमत 3950 करोड़ रुपये थी। रुपये के हिसाब से देखें तो निर्यात अब तक का सर्वाधिक है। यह भी उल्लेखनीय है कि 105.5 प्रतिशत निर्यात का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। हालांकि मात्रा के लिहाज से तय किया गया लक्ष्य 93.1 प्रतिशत ही हासिल किया जा सका है।
मसाला बोर्ड ने 2008-09 के दौरान 4350 करोड़ रुपये के 425,000 टन मसालों के निर्यात का लक्ष्य रखा था। बोर्ड को उम्मीद है कि साल के अंत तक यह लक्ष्य भी हासिल कर लिया जाएगा। मसालों के तेल जिसमें मिंट भी शामिल है, की निर्यात में हिस्सेदारी 42 प्रतिशत होती है। मिर्च की हिस्सेदारी 21 प्रतिशत, कालीमिर्च की 8 प्रतिशत, जीरे की 7 प्रतिशत और हल्दी की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत है।