facebookmetapixel
Assam Earthquake: असम में 5.9 तीव्रता का भूकंप, गुवाहाटी में मची अफरा-तफरी, लोग घरों से बाहर निकलेसिर्फ एक फंड से टाटा-बिड़ला से लेकर अंबानी-अदाणी तक के शेयरों में करें निवेश, जानें कैसे काम करते हैं कांग्लोमरेट फंडPM मोदी ने असम में ₹18,530 करोड़ की परियोजनाओं को दी मंजूरी, बायोएथेनॉल, पॉलीप्रोपाइलीन प्लांट का किया शुभारंभTata Capital ला रहा ₹17,000 करोड़ का बड़ा IPO, IFC की हिस्सेदारी बेचकर कमाएगा 13 गुना मुनाफाशेयर बाजार में मचेगी धूम! अगले दो-तीन हफ्तों में एक दर्जन से ज्यादा कंपनियां लाएंगी IPO, जुटाएंगी ₹10,000 करोड़इंश्योरेंस सेक्टर में 100% FDI का रास्ता साफ? संसद के शीतकालीन सत्र में पेश हो सकता है विधेयकपीएम मोदी ने असम को दी ₹6,300 करोड़ की स्वास्थ्य और इन्फ्रा परियोजनाओं की सौगातUP: कन्नौज का आनंद भवन पैलेस बना उत्तर प्रदेश का पहला लग्जरी हेरिटेज होमस्टेMCap: बाजाज फाइनेंस की मार्केट कैप में सबसे ज्यादा बढ़त, 8 कंपनियों का कुल मूल्य ₹1.69 ट्रिलियन बढ़ाMarket Outlook: इस सप्ताह US Fed की नीति और WPI डेटा पर रहेगी नजर, बाजार में दिख सकती है हलचल

भारत के लिए कच्चे तेल के दामों में 27 फीसदी का इजाफा

Last Updated- December 05, 2022 | 5:31 PM IST

वित्त वर्ष 2007-08 में भारतीय रिफायनरी का क्रूड ऑयल बास्केट प्राइस औसतन 27 फीसदी बढ़ा यानी एक साल पहले के 62.46 डॉलर प्रति बैरल के मुकाबले 2007-08 में यह 79.25 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।


सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 14 मार्च को यह 103.8 डॉलर प्रति बैरल के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था और पिछले वित्त वर्ष के आखिरी दो महीनों में यह 90 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर रहा।


पश्चिम एशिया में तनाव और दुनिया की दूसरी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में आई कमजोरी के चलते तेल में निवेश बढ़ा और इसके नतीजे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चा तेल 100 डॉलर से ऊपर पहुंच गया। अब तक उपलब्ध अंतिम आंकड़ों के मुताबिक, सोमवार को भारतीय रिफायनरी का बास्केट प्राइस 99.45 डॉलर प्रति बैरल पर था। भारत ओमान-दुबई से हाई सल्फर व ब्रेंट यानी लो सल्फर युक्त कच्चे तेल का आयात 61.4:38.6 के अनुपात में करता है।


मार्च महीने में बास्केट प्राइस का औसत 99.76 डॉलर प्रति बैरल पर था जबकि फरवरी में 92.37 डॉलर प्रति बैरल। इस तरह फरवरी केमुकाबले मार्च में 8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। 31 मार्च को समाप्त तिमाही में बास्केट प्राइस औसतन 93.77 डॉलर प्रति बैरल पर रही जो दिसंबर में समाप्त तिमाही के 85.09 डॉलर प्रति बैरल के मुकाबले 10.2 फीसदी ज्यादा थी।


भारत की सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियां 400 करोड़ रुपये का नुकसान उठा रही हैं क्योंकि उन्हें अंतरराष्ट्रीय कीमत के अनुसार पेट्रोल, डीजल, एलपीजी और केरोसिन की कीमत बढ़ाने की इजाजत नहीं है। इस वजह से इन कंपनियों मसलन आईओसी, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम के वर्किंग कैपिटल पर खासा असर पड़ा है।

First Published - April 2, 2008 | 12:43 AM IST

संबंधित पोस्ट