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आंध्र के कपास उत्पादक हुए मालामाल

Last Updated- December 07, 2022 | 1:05 PM IST

घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति में कमी होने से कपास की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है।


महज एक महीने पहले आंध्र प्रदेश के जिन किसानों को एक क्विंटल कपास के बदले 2,400 से 2,500 रुपये मिल रहे थे, एक महीने बाद ही उन्हें इसके लिए 3,700 रुपये तक मिल रहे हैं। देश के दूसरे राज्यों से अच्छे संकेत न मिलने के चलते आंध्र प्रदेश के किसानों के लिए मौजूदा सीजन काफी मजेदार रहने की संभावना जतायी जा रही है।

कपास के कारोबारी पी. संतोष के अनुसार, पिछले साल राज्य के 9 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई की गई थी। वहीं इस साल अब तक पिछले साल के 70 फीसदी रकबे में कपास बोया जा चुका है। उनके अनुसार, यदि एक हफ्ता या 10 दिन में बारिश हो गई तो कपास का कुल रकबा इस साल 11 लाख हेक्टेयर तक पहुंच सकता है। लेकिन बारिश न होने पर बोई गई फसल के भी तबाह होने का खतरा मंडरा रहा है। संतोष के मुताबिक, ऐसे में किसानों को दुबारा बुआई करना पर पड़ सकता है।

कपास के उत्पादन और कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि अक्टूबर तक कपास की फसल बाजार में आ पाएगी। लेकिन उससे पहले बाजार में कपास की कमी दूर होने के कोई आसार नहीं हैं। ऐसी स्थिति में कपास की कीमतें तो आसमान छुएगी ही। फिलहाल दिसंबर में डिलीवर होने वाले 30 मिलीमीटर रेशे वाली कपास का वायदा मूल्य 29,000 रुपये प्रति कैंडी (1 कैंडी=3.56 क्विंटल) है। वैसे हाजिर बाजार में कपास की कीमत फिलहाल 4,000 रुपये प्रति क्विंटल है।

कपास के शीर्ष निर्यातक अमेरिका समेत चीन और सूडान में उत्पादन घटने से पाकिस्तान, बांग्लादेश और दूसरे देशों को होने वाले निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। एक समय तो गुंटूर मंडी में एक कैंडी की कीमत 30,000 रुपये को पार कर गई थी। वैसे इस हफ्ते कपास का भाव 28,000 रुपये रहा। कपास की किल्लत होने और कीमतें आसमान पर चढ़ने के बााद निर्यातकों ने कपास के भंडार को बाजार में उतारना शुरु कर दिया है। आंध्र प्रदेश के कपास उत्पादकों के लिए मौजूदा सीजन अब तक का सबसे बेहतर सीजन साबित हो सकता है।

First Published - July 25, 2008 | 12:37 AM IST

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