केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज कहा कि 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के भारत के लक्ष्य में कोयला क्षेत्र का योगदान सर्वाधिक रहेगा। वह अक्टूबर-नवंबर 2020 के दौरान हुई कोयला खदानों की वाणिज्यिक नीलामी के तहत सफल बोलीदाताओं को आवंटन पत्र प्रदान करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
शाह ने कहा, ‘कोयला क्षेत्र अपारदर्शी, जटिल और कुछ कॉर्पोरेटों के पक्ष में झुका रहा है। लेकिन अब कई सारी छोटी व्यापारिक कंपनियां कोयला खनन के क्षेत्र में उतर रही हैं जो कि छह वर्ष पहले तक संभव नहीं था। भारत सर्वाधिक कोयला भंडारों वाले देशों में से एक है और यहां मांग भी उच्च है लेकिन इसके बावजूद हम बड़ी मात्रा में कोयले का आयात करते हैं। हमारी अर्थव्यवस्था के लिए यह बहुत महत्त्वपूर्ण है कि हम आयात पर अपनी निर्भरता में कमी लाएं।’
साल 2020 में केंद्र ने कोयला खनन क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया। देश में कोयला खनन के राष्ट्रीयकरण के 47 वर्ष बाद कोयले की वाणिज्यिक खनन और बिक्री का द्वार खोला गया है।
केंद्र ने पिछले वर्ष मई में कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 में संशोधन कर गैर-खनन, एमएसएमई और विदेशी कंपनियों के लिए कोयले की नीलामी का दरवाजा खोल दिया था। दो हिस्सों में नीलामी नवंबर में पूरी हुई जब कंपनियों ने पेशकश पर कुल 38 कोयला ब्लॉकों में से 19 के लिए बोली जमा कराई।
बोली जीतने वालों में अदाणी एंटरप्राइजेज, हिंडाल्को, वेदांत लिमिटेड, आदित्य बिड़ला समूह की एस्सल माइनिंग, जिंदल स्टील ऐंड पावर शामिल थीं। इनके अलावा अरविंदो रियल्टी, यजदानी इंटरनैशनल, जेएमएस माइनिंग और बोल्डर स्टोन मार्ट जैसी विभिन्न नई और गैर खनन कंपनियां इनमें शामिल रहीं।
केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि पश्चिम का अनुसरण करने के चक्कर में हम अपने देश की ऊर्जा महत्वाकांक्षा को नहीं दबा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें ऊर्जा के स्वच्छ रूपों की ओर बढ़ते हुए अपने कोयला भंडार का अधिकतम इस्तेमाल करना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि जनवरी में वाणिज्यिक खनन के तहत और अधिक खदानों की पेशकश की जाएगी।
मंत्रियों ने कोलया खदान जीतने वाली कंपनियों के लिए एक एकल खिड़की मंजूरी पोर्टल का भी लोकार्पण किया। जोशी ने कहा, ‘मंजूरी लेने के लिए एकीकृत प्लेटफॉर्म के अभाव में कंपनियों को विभिन्न विभागों का चक्कर लगाना पड़ता था जिससे कोयला खदानों का परिचालन शुरू करने में देरी होती थी। अब सपूंर्ण प्रक्रिया की सुविधा एकल खिड़की मंजूरी पोर्टल के जरिये चरणबद्घ तरीके से मुहैया होगी।’
फिलहाल खदान परिचालन शुरू करने से पहले करीब 19 बड़ी मंजूरियों की आवश्यकता पड़ती है। इसमें खदान योजना को मंजूरी और खदान को बंद करने की योजना, खदान पट्टा देना, पर्यावरण और वन मंजूरी, वन्य जीव मंजूरी, सुरक्षा से जुड़ी मंजूरियां, पर्यावरण, परियोजना के कारण प्रभावित परिवारों का पुनर्वास, कामगारों का कल्याण आदि शामिल है। पोर्टल के माध्यम से ये मंजूरी प्रदान किए जाते हैं।
कोयला मंत्रालय ने कहा कि इन खदानों से खदान वाले राज्यों को खदान के जीवन तक सालाना 6,656 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा।