facebookmetapixel
अगस्त में खुदरा महंगाई मामूली बढ़कर 2.07 प्रतिशत हुई, ग्रामीण और शहरी इलाकों में कीमतों में हल्की बढ़ोतरी दर्जGST दरें घटने पर हर महीने कीमतों की रिपोर्ट लेगी सरकार, पता चलेगा कि ग्राहकों तक लाभ पहुंचा या नहींSEBI ने कहा: लिस्टेड कंपनियों को पारिवारिक करार का खुलासा करना होगा, यह पारदर्शिता के लिए जरूरीनई SME लिस्टिंग जारी, मगर कारोबारी गतिविधियां कम; BSE-NSE पर सौदों में गिरावटदुर्लभ खनिज मैग्नेट की कमी से जूझ रहा है भारतीय वाहन उद्योग, सरकार से अधिक सहयोग की मांगसरकारी बैंकों के बोर्ड को मिले ज्यादा अधिकार, RBI नियमन और सरकार की हिस्सेदारी कम हो: एक्सपर्ट्सGST Reforms का फायदा लूटने को तैयार ई-कॉमर्स कंपनियां, त्योहारों में बिक्री ₹1.20 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमानFY26 में भारत का स्मार्टफोन निर्यात $35 अरब छूने की राह पर, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में तेजी: वैष्णवSEBI ने IPO और MPS नियमों में दी ढील, FPI रजिस्ट्रेशन के लिए सिंगल विंडो शुरू करने का ऐलानअधिक लागत वाली फर्मों को AI अपनाने से सबसे ज्यादा लाभ होगा

कोयला नीलामी प्रक्रिया चलेगी लगातार

Last Updated- December 12, 2022 | 6:37 AM IST

निजी कंपनियों के वाणिज्यिक खनन एवं बिक्री के लिए कोयला खदानों का आवंटन निरंतर चलने वाली नीलामी के जरिये होगा। केंद्र ने वाणिज्यिक कोयला नीलामी का दूसरा चरण शुरू कर दिया है। नवंबर, 2020 में पहले चरण में 19 खदानों का आवंटन किया गया था।  
दूसरे चरण की शुरुआत के मौके पर केंद्रीय कोयला एवं खदान मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा, ‘हम अहम तकनीकी ब्योरों के साथ खदानों की व्यापक सूची अपलोड करेंगे और बोलीदाता नीलामी के अगले चरण में शामिल की जाने वाली खदानों के लिए अपनी तरजीह सौंप सकते हैं। यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया होगी, जिससे नीलामी प्रक्रिया में तेजी  आएगी। इसके अलावा यह बोलीदाताओं को बेहतर योजना में मदद देगी और व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ाएगी।’
आगामी नीलामी में 67 कोयला खंडों की पेशकश की जाएगी। इनमें से छह कोकिंग कोल और शेष नॉन-कोकिंग (ताप विद्युत संंयंत्रों में इस्तेमाल) के खंड हैं। ये कोयला खंड मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में स्थित हैं। इन कोयला खंडों में 37 खदान ऐसी हैं, जिनमें तुरंत उत्पादन शुरू किया जा सकता है। जोशी ने कहा कि वाणिज्यिक कोयला खनन से नया निवेश आएगा, बड़ी तादाद में रोजगार के मौके पैदा होंगे और कोयले के भंडार वाले राज्यों में सामाजिक-आर्थिक विकास होगा। बाजार आधारित कोयला अर्थव्यवस्था से देश को कोयले में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।

First Published - March 26, 2021 | 12:55 AM IST

संबंधित पोस्ट