सरकार ने आज गेहूं निर्यात को सैध्दांतिक मंजूरी दे दी है। अब गेहूं और उसके उत्पादों का निर्यात लोकसभा चुनाव के बाद किया जा सकेगा, जो अप्रैल और मई महीने में प्रस्तावित है।
हालांकि सरकार ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध यथावत रखा है। केंद्र सरकार ने 2 साल पहले गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति ने आज यह सैध्दांतिक फैसला ले लिया है कि गेहूं और गेहूं के उत्पादों के निर्यात से प्रतिबंध हटा दिया जाए। चुनावों के बाद 20 लाख टन गेहूं के निर्यात की अनुमति दी जाएगी।’
उन्होंने कहा कि कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली सचिवों की एक समिति निर्यात संबंधी मानकों की रूपरेखा तैयार करेगी। इस संबंध में अधिसूचना चुनावों के बाद ही जारी की जाएगी।
बहरहाल मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर किसी भी तरह की ढील नहीं दी है। उद्योग जगत से जुड़े लोगों ने मांग की थी कि बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य 1,100 डॉलर प्रति टन से कम किया जाना चाहिए, लेकिन मंत्रिसमूह ने इस मांग को भी खारिज कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘गैर बासमती चावल के निर्यात में ढील दिए जाने की कोई योजना नहीं है।’ उन्होंने कहा कि अभी बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य भी यथावत रखा गया है। सरकार ने फरवरी 2007 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और पिछले साल अप्रैल में गैर बासमती चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया था।
इस फैसले की प्रमुख वजह यह थी कि घरेलू बाजार में खाद्यान्न की मांग पूरी की जा सके और कीमतें बढ़ने से रोका जा सके। दुनिया के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक देश भारत में लोक सभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव आयोग ने चुनाव होने से पहले सरकार को किसी भी बड़े नीतिगत फैसले पर रोक लगा रखा है, जिसकी वजह से यह फैसला चुनावों के बाद ही लागू हो सकेगा।
लोकसभा चुनाव के बाद हो सकेगा निर्यात
लोकसभा चुनाव के बाद 20 लाख टन गेहूं के निर्यात को मंजूरी मिली
गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध अभी रहेगा बरकरार
बासमती चावल के निर्यात का न्यूनतम निर्यात मूल्य भी नहीं घटा
कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर की अध्यक्षता वाली सचिवों की समिति तैयार करेगी मानक
फरवरी -07 में गेहूं निर्यात पर लगा प्रतिबंध