तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के समर्थन में किसानों के चल रहे प्रदर्शन के बीच राज्य सरकारों ने किसानों को खुश करने के लिए अपने वार्षिक बजट में कई उपायों की घोषणा की है।
केंद्र सरकार ने अपने बजट में किसानों को भरोसा दिलाया था कि एमएसपी की व्यवस्था जारी रहेगी और अपनी प्रतिबद्घता को जताने के लिए वह अपना रिपोर्ट कार्ड भी लेकर आई थी। हालांकि, इन प्रयासों का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। अपने अपने बजट में राज्य सरकारों ने विभिन्न उपायों की घोषणा कर किसानों को अपने करीब लाने की कोशिश की है।
पंजाब
किसान आंदोलन के केंद्र पंजाब में सरकार ने अपने बजट को किसानों को समर्पित किया है। राज्य सरकार 3,780 करोड़ रुपये की लागत वाली कामयाब किसान, खुशहाल पंजाब नाम से नई योजना लेकर आई है। इसका लक्ष्य किसानों की आमदनी में सुधार करना है। सरकार 2021-22 में फसल ऋण माफी योजना के तहत अगले चरण में 1,13,000 किसानों का 1,186 करोड़ रुपये का ऋण और भूमिहीन किसानों का 526 करोड़ रुपये का ऋण माफ करेगी।
उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन अपने अंतिम चरण में पहुंच गया था। लेकिन, लाल किले पर 26 जनवरी को हुई हिंसा और उसके बाद भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख नेता राकेश टिकैत के रोने की घटना ने प्रदर्शनकारियों नई जान डाल दी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में व्यापक रैली हो रही है और गांव के स्तर पर महापंचायत हो रही है।
गन्ना के बढ़ते बकाये और पिछले तीन वर्ष से गन्ना के प्रशासनिक मूल्य पर यथास्थिति बनाए रखने के राज्य सरकार के निर्णय से गन्ना किसानों में रोष है और वे भी आंदोलनकारियों के साथ खड़े हो गए हैं।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन उतना जोर नहीं पकड़ पाया जितना कि उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में नजर आ रहा है तो विशेषज्ञों की नजर में इसकी बड़ी वजह यह है कि कुछ खरीफ फसलों की कीमत इस साल पिछले साल के मुकाबले बेहतर है।
मध्य प्रदेश सरकार ने अपने बजट में पीएम किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के लाभार्थियों को सालना 4,000 रुपये अतिरिक्त देने के लिए 3,200 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।
राजस्थान
राजस्थान में 26 जनवरी की घटना के बाद से तीन कृषि कानूनोंं के खिलाफ प्रदर्शन ने जोर पकड़ा है। राज्य सरकार ने अगले वित्त वर्ष से अलग से कृषि बजटन लाने का निर्णय लिया है।
इसके अलावा, कांग्रेस के नेतृत्व वाली इस सरकार ने किसान ऋण माफी योजना के लिए 16,000 करोड़ रुपये का भारी भरकम आवंटन किया है। इस योजना की शुरुआत सरकार बनने के बाद हुई थी और आगामी वर्ष में अतिरिक्त 3,00,000 किसानों को इसके दायरे में लाने की योजना है।
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलनों से करीब करीब अछूता रहा है, भले ही राज्य में इसकी छिटपुट घटनाएं हुई हैं। अपने बजट में राज्य सरकार ने गोधन न्याय योजना में विस्तार करने की घोषणा की है। इस योजना के तहत किसानों और खेतीहरों को गाय के गोबर की आपूर्ति करने के बदले धन दिया जाता है। यह योजना काफी सफल रही है और अन्य राज्य भी ऐसी योजना लाने पर विचार कर रहे हैं।
केंद्र सरकार की योजना
दिल्ली की सीमा पर महीनों से हजारों की संख्या में प्रदर्शन में डटे किसानों की नजर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण पर थी। उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए खाद्यान्न खरीद में पिछली सरकारों के मुकाबले मोदी सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने कृषि उत्पाद विपणन कंपनियों (एपीएमसी) को 1 लाख करोड़ रुपये के कृषि बुनियादी ढांचा फंड (एआईएफ) तक पहुंच की अनुमति देने की घोषणा की।
बजट में कृषि और संबंधित क्षेत्र के लिए आवंटन मामूली रहा। इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2022 के लिए 1,48,301 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जो वित्त वर्ष 2021 के संशोधित अनुमान से महज 2.02 फीसदी ही अधिक है।
एआईएफ के लिए बजट में वित्त वर्ष 2022 में 900 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन किया गया है। (साथ में एजेंसियां )