हीरे के आभूषण की मांग करने वाले अमेरिकी उपभोक्ता इन दिनों चांदी व निम्न स्तर के सोने के आभूषणों की मांग कर रहे हैं।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नरमी के कारण वहां के उपभोक्ताओं की खर्च करने की क्षमता कम हो गई है। लिहाजा वे इस प्रकार के आभूषणों की मांग कर रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक जो उपभोक्ता पहले हीरे की मांग करते थे वे इनदिनों चांदी से निर्मित आभूषणों की मांग कर रहे हैं। ताकि उनकी पॉकेट पर कोई अतिरिक्त बोझ न पड़े। हालांकि हीरे की जूलरी में निम्न स्तर के सोने की मिलावट की मांग अब भी बनी हुई है लेकिन हीरे की जगह चांदी की जूलरी की मांग में बढ़ोतरी हुई है।
सूत्रों का कहना है कि अमेरिका भेजी जाने वाली जूलरी में सोने के स्तर में 4 कैरट की कमी दर्ज की गई है। पहले जहां इस प्रकार की जूलरी में 14 कैरेट सोने का इस्तेमाल होता था वह अब घटकर 10 फीसदी रह गया है। फिलहाल अमेरिका में नौकरियों में लगातार कटौती हो रही है और वहां बेरोजगारी बढ़ रही है। साथ ही घर खरीदने वालों की संख्या में भी लगातार गिरावट हो रही है।
ऐसी स्थिति में वहां के लोग सोने व चांदी में निवेश करना उचित समझ रहे होंगे। इस रुझान के चलते घरेलू जूलरी कारोबारी व सोनारों के लिए नई उम्मीद जगी है। सोने की कीमत में लगातार तेजी के कारण घरेलू सोने बाजार के कारोबार में भारी गिरावट दर्ज की गई है। ऐसी स्थिति में अमेरिका से मांग निकलना यहां के सर्राफा कारोबारियों के लिए शुभ संकेत है।
सूरत स्थित जेम्स व जूलरी पार्क के सह सचिव प्रवीण नानावटी कहते हैं, ‘अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आई मंदी का असर तो पड़ा ही है साथ ही सोने की कीमत में हुए उछाल के कारण भी इसकी मांग में कमी दर्ज की गई है। सिर्फ कुछ उपभोक्ता उपलब्ध पैसे के हिसाब से खरीदारी कर रहे हैं। लेकिन वहां की अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर जारी रहा तो निश्चित रूप से इस मांग में भी कमी आ जाएगी।’
जेम्स एंड जूलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के पदाधिकारियों के मुताबिक अमेरिका को होने वाले जूलरी निर्यात में 7 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। बीते तीन महीने के दौरान सोने की कीमत में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सोने की कीमत प्रति आउंस 920 डॉलर के स्तर पर चली गई है।
गत 20 मार्च को इसकी कीमत सबसे अधिक प्रति आउंस 1,011.25 डॉलर के स्तर पर थी। उसी तरीके से हीरे की कीमत में भी 10-15 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है। इंटरनेशनल डायमंड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष वसंत मेहता कहते हैं, अमेरिका से जो मांग निकल रही है वह यहां के फैक्टरियों को सीधे तौर पर मिल जा रही है।