देश के सीफूड्स(समुद्री खाद्य उत्पादों) निर्यातकों के लिए एक बेहद अच्छी खबर है। यूएस डिर्पाटमेंट ऑफ कॉमर्स (डीओसी) ने अमेरिका में निर्यात किए जाने वाले सीफूड्स पर लगने वाले एंटी-डंपिंग शुल्क में कमी की है।
डीओसी की तीसरी प्रशासनिक समीक्षा की घोषणा में यह बात कही गई है कि भारत के लिए इस शुल्क को 1.69 फीसदी से घटा कर 0.79 फीसदी कर दिया गया है। यह नई दरें अमेरिका के साथ निर्यात का कारोबार करने वाली 170 भारतीय कंपनियों के लिए लागू होंगी।
डीओसी ने देवी सीफू ड्स लिमिटेड के लिए दरें 0.35 फीसदी के मुकाबले 0.39 प्रतिशत तय की हैं। जबकि फाल्कॉन मैरिन प्रोडक्ट के लिमिटेड के लिए 1.69 फीसदी के मुकाबले 0.79 फीसदी रखी है। तीसरी प्रशासनिक समीक्षा के लिए इन्हीं दो कंपनियों को अपनी प्रतिक्रिया देनी थी।
इस समीक्षा के अंतिम नतीजों की घोषणा इस साल जुलाई-अगस्त के दौरान होने की उम्मीद है। इस समीक्षा के लिए 334 भारतीय कंपनियों का चयन किया गया था। लेकिन इनमें से केवल 166 कंपनियों को ही 110 फीसदी की दर से वास्तविक निर्यात शुल्क का भुगतान करने के लिए चुना गया है।
इसकी वजह से निर्यातकों को काफी राहत मिलेगी क्योंकि वे निर्यात करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। पहले इन कंपनियों ने बहुत ज्यादा एंटी-डंपिंग शुल्क लगने की वजह से अमेरिका को निर्यात करना बंद कर दिया था। अमेरिका को निर्यात करने वाले वास्तविक निर्यातकों की संख्या में कमी आई थी और यह वर्ष 2009 में 59 हो गया था।
सीफूड्स एक्सर्पोट्र्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीईएआई) के सूत्रों के मुताबिक भारतीय सीफूड निर्यात उद्योग के लिए यह बहुत उम्मीद जगाने वाली बात है क्योंकि अब 170 भारतीय कंपनियों को अमेरिका के साथ नाममात्र शुल्क पर कारोबार करने का मौका मिलेगा।
सीईएआई के अध्यक्ष अनवर हाशिम का कहना है, ‘यह भारत के सीफूड निर्यात उद्योग के लगातार कोशिश का ही नतीजा है। हमलोगों ने यूएस डीओसी के सामने अपनी एक नई लागत पैकेज के संदर्भ में बात रखी थी ताकि लोग हमारी स्थिति को भी समझ सकें। यह देश के निर्यात सेक्टर की साझा मेहनत का ही एक नतीजा था।’
उन्हें यह उम्मीद है कि जैसे ही विश्व व्यापार संगठन का फैसला भारत के पक्ष में आता है वैसे ही अमेरिकी प्रशासन शुल्क हटा लेगा। इन दोनों बदलावों से भारतीय सीफूड निर्यात क्षेत्र को काफी प्रोत्साहन मिलेगा। इससे भारतीय कंपनियों द्वारा पहले से भुगतान किए गए शुल्क की वापसी भी हो जाएगी।