वित्त वर्ष 2020-21 में कृषि एवं सहायक गतिविधियों के सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में स्थिर मूल्यों पर 3.4 फीसदी वृद्धि का अनुमान है। यह इस क्षेत्र की पिछले साल से थोड़ी कम वृद्धि है, मगर कोविड-19 से प्रभावित अन्य सभी क्षेत्रों की तुलना में सबसे बेहतर है।
कृषि एवं सहायक गतिविधियों की जीवीए वृद्धि वित्त वर्ष 2020-21 में चालू मूल्यों पर करीब 7.3 फीसदी रहने का अनुमान है। यह वित्त वर्ष 2019-20 के लिए अनुमानित 11.4 फीसदी वृद्धि से कम है। इसका मतलब है कि 2020-21 में महंगाई का असर करीब 3.9 फीसदी रहेगा। यह वर्ष 2019-20 के पहले अग्रिम अनुमान 7.4 फीसदी से कम है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की तरफ से जारी अनुमानों के मुताबिक कृषि एकमात्र ऐसा क्षेत्र है, जिसमें वित्त वर्ष 2020-21 में धनात्मक वृद्धि रहने के आसार हैं। इससे लॉकडाउन के महीनों में किसानों की अहम भूमिका का पता चलता है। उन्होंने न केवल अपने खेतों में मेहनत की, बल्कि कृषि उपजों का रिकॉर्ड उत्पादन भी किया।
हालांकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि का तुलनात्मक रूप से छोटा हिस्सा है। ऐसे में कृषि में धनात्मक वृद्धि से कुल जीडीपी को बड़ा सहारा नहीं मिलेगा लेकिन इसका व्यापक ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी ने कहा, ‘सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने कृषि एवं सहायक गतिविधियों में 3.4 फीसदी वृद्धि का अनुमान जताया है। यह पिछले साल से थोड़ा कम है मगर क्षेत्र के लंबी अवधि के औसत 3-4 फीसदी के नजदीक है। यह उन कुछेक क्षेत्रों में से एक है, जिन्होंने इस साल धनात्मक वृद्धि हासिल की है।’
पहले अनुमान के मुताबिक दश में 2020-21 में खरीफ सीजन का खाद्यान्न उत्पादन 14.45 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर रहने के आसार हैं। यह 2019-20 के उत्पादन से 0.80 फीसदी अधिक है। खाद्यान्न में चावल का उत्पादन 10.23 करोड़ टन अनुमानित है, जो 2019-20 की तुलना में 0.37 फीसदी अधिक है।
दलहन का उत्पादन करीब 93.1 लाख टन रहने का अनुमान है, जो 2019-20 की तुलना में करीब 21 फीसदी अधिक है। तिलहन का उत्पादन 2.57 करोड़ टन अनुमानित है, जो 2019-20 की तुलना में 15.28 फीसदी अधिक है।
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि कपास का उत्पादन 3.71 करोड़ गांठ (प्रत्येक 170 किलोग्राम) अनुमानित है, जो पिछले साल से करीब पांच फीसदी अधिक है। गन्ने का उत्पादन 39.98 करोड़ टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के मुकाबले 12.41 फीसदी अधिक है। अच्छे दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की बदौलत खरीफ फसलों का उत्पादन बढिय़ा रहने का अनुमान है। मॉनसून 2020 में जून से सितंबर तक के सीजन में लंबी अवधि के औसत का 109 फीसदी रहा था। यह सामान्य से नौ फीसदी अधिक रहा।