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यूपी में एफसीआई ने अब तक नहीं खरीदा लेवी चावल

Last Updated- December 12, 2008 | 10:30 PM IST

उत्तर प्रदेश में धान की खरीदारी ने भले ही जोर पकड़ लिया हो, लेकिन राज्य के कई मिल मालिकों का आरोप है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने अब तक लेवी चावल की खरीद शुरू नहीं की है।


मिलों का दावा है कि इसके चलते राज्य की 150 मिलों में करीब 25 हजार टन चावल का भंडार अटका पड़ा है। इस कारण मिलों के यहां किसानों का करीब 500 करोड़ रुपया फंसा हुआ है।

उत्तर प्रदेश मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि राज्य सरकार मिलों से सामान्य किस्म के लेवी चावल खरीद रही है।

लेकिन भारतीय खाद्य निगम ने अब तक ऐसी कोई खरीदारी शुरू नहीं की है। एसोसिएशन के प्रतिनिधि पहले ही इस मुद्दे पर राज्य सरकार के सामने अपनी शिकायतें दर्ज करा चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि लेवी चावल के प्रावधान के तहत मिलों को कुल खाद्यान्न का 75 फीसदी एफसीआई और राज्य की एजेंसियों को देना पड़ता है।

हालांकि ये मात्रा अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है। अग्रवाल के मुताबिक, ”इतना ही नहीं एफसीआई तो सीधे किसानों को भुगतान दे रही है जबकि धान की खरीद हमने किसानों को नगद देकर की है।” राज्य के खाद्य और जन आपूर्ति मामलों के मुख्य विपणन अधिकारी महबूब हसन खान ने कहा कि सरकारी एजेंसियां मिलों से खरीदारी नहीं कर रही थी।

इसके चलते मिलों के पास चावल का काफी भंडार हो गया है। खान ने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में लेवी चावल की वसूली में तेजी आएगी। मालूम हो कि राज्य में करीब 6,000 चावल मिलें हैं, जिनमें से करीब 1,000 मिलें संगठित क्षेत्र में हैं।

इस बीच, 2008-09 में 26 लाख टन के खरीद लक्ष्य की तुलना में अब तक 12 लाख टन की खरीद हो चुकी है। 1 अक्टूबर से शुरू हुई खरीद आगामी फरवरी महीने तक जारी रहने के आसार हैं। धान की खरीद बढ़ाने के लिए पिछले साल की तरह इस बार भी राज्य सरकार ने आढ़तियों को लगा रखा है।

इसके लिए इन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य का 1.5 फीसदी कमीशन दिया जा रहा है। मालूम हो कि इस बार बोनस सहित धान की एमएसपी 900 रुपये प्रति क्विंटल है। इसके अलावा, राज्य में कस्टम मिलिंग की प्रक्रिया के तहत मिलों ने 4 लाख टन चावल की कूटाई कर ली है।

कस्टम मिलिंग वह प्रकिया है जिसके तहत राज्य सरकार धान से चावल बनाने के लिए मिलों को धान मुहैया कराती है। अनुमान है कि इस बार राज्य में धान की फसल 60 लाख हेक्टेयर में लगी है। अनुमान है कि इसके चलते उत्पादन पिछले साल के 1.17 करोड़ टन से बढ़कर 1.30 करोड़ टन होने का अनुमान है।

First Published - December 12, 2008 | 10:30 PM IST

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