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ट्रांसपोर्टरों को मिली राहत, स्टील और लोहे की माल ढुलाई यथावत

Last Updated- December 10, 2022 | 1:01 AM IST

वित्तीय वर्ष 2009-10 के लिए पेश किए गए अंतरिम रेल बजट से ट्रांसपोर्टरों ने राहत की सांस ली है।  लेकिन स्टील व लौह अयस्क उद्योगों को निराशा हाथ लगी है। मालभाड़े में कोई परिवर्तन नहीं होने से ट्रांसपोर्टरों के कारोबार में अब गिरावट की कोई आशंका नहीं है।
लेकिन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर चलने वाली दोमंजिला मालगाड़ी की चिंता उन्हें अभी से सताने लगी है। वहीं मंदी से जूझ रहे स्टील व लौह अयस्क उद्योगों को पहले की तरह ही मालभाड़े का भुगतान करना होगा।
स्टील व लौह अयस्क

फिलहाल 1000 किलोमीटर तक एक टन स्टील की ढुलाई के बदले स्टील उद्योग को 1041 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। स्टील उद्योग ने मंदी के इस दौर में अपनी लागत कम करने के लिए 1041 रुपये की जगह  843 रुपये प्रति टन की मांग की थी।
वहीं लौह अयस्क उद्योगों ने रेल मंत्रालय से इस ढुलाई खर्च को 727.20 रुपये प्रति टन करने की गुजारिश की थी। लेकिन मालभाड़े में कोई परिवर्तन नहीं होने से इनकी लागत में कोई परिवर्तन नहीं होने जा रहा है।
लौह अयस्क निर्यात संघ के पदाधिकारी आरके शर्मा कहते हैं, ‘मालभाड़े में कमी होती तो लौह अयस्क के निर्यात को समर्थन मिलता। हालांकि लोहे की कीमत में थोड़ी मजबूती आयी है लेकिन यह कब तक कायम रहेगा, यह कहना मुश्किल है। ऐसे में मालभाड़े में कमी लाजिमी थी।’
उन्होंने यह भी कहा कि नए वैगन के निर्माण के लिए अगर ऑर्डर मिलते है तो इससे स्टील व एल्युमिनियम उद्योग को फायदा मिलेगा। स्टील की मांग निकलने से घरेलू तौर पर लौह उद्योग को भी लाभ होगा। लेकिन नए वैगन के निर्माण का ऑर्डर एक लंबी प्रक्रिया है। 
ट्रांसपोर्टर

ट्रांसपोर्टरों ने बताया कि चुनावी बजट होने के कारण उन्हें मालभाड़े में कटौती की पूरी संभावना नजर आ रही थी, लेकिन अंतरिम रेल बजट में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इससे न तो उन्हें कोई नुकसान होना न ही कोई फायदा।
ट्रांसपोर्टरों ने बताया कि इस अंतरिम रेल बजट से मालवाहक वाहनों की बिक्री में जरूर कमी आएगी। क्योंकि रेलवे ने अपनी तय ढुलाई क्षमता में कोई कमी नहीं की है। ट्रांसपोर्टरों का आरोप है कि एक खुली मालगाड़ी में 350 टन तक ओवरलोडिंग की जा रही है तो बंद मालगाड़ी में 250 टन तक।
देश भर में रोजाना 750 मालगाड़ियों पर लोडिंग होती है। इस प्रकार रोजाना रेलवे के जरिए 2 लाख टन माल की ओवरलोडिंग हो रही है। ऐसे में उनके कारोबार में कोई बढ़ोतरी की संभावना नहीं बनती है।
मालगाड़ी की ओवरलोडिंग में कमी करने पर निश्चित रूप से उनके कारोबार का दायरा बढ़ता और नए मालवाहक वाहनों की खरीदारी भी बढ़ती। ट्रांसपोर्टर एमएस गुलाटी कहते हैं कि आने वाले समय में अगर उन्हें ढुलाई क्षमता में कुछ छूट मिल जाती है तो इस अंतरिम बजट के फैसले से उन्हें कुछ लाभ मिल सकता है।
ट्रांसपोर्टरों ने यह भी कहा कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण से उनके कारोबार में भारी कमी आ सकती है। इस कॉरिडोर के तहत 2762 किलोमीटर लंबी कोरिडोर का निर्माण होना है।
रेल मंत्री लालू प्रसाद ने अंतरिम बजट के दौरान कहा कि मालभाड़े से होने वाली आय में बढ़ोतरी के लिए वे वैगन की क्षमता में बढ़ोतरी करने जा रहे हैं जिससे उनकी माल ढोने की क्षमता में 78 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो जाएगी। इससे 2300 टन की ढुलाई करने वाली मालगाड़ी 4100 टन की ढुलाई कर पाएगी।
ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर चलने वाली मालगाड़ी में दो-दो इंजन होंगी और मालगाड़ी की लंबाई एक किलोमीटर तक होगी। पिछले 10 फरवरी को बिहार के डेयरी-अंसुन के पास पूर्वी क्षेत्र के इस कॉरिडोर का शिलान्यास किया गया।
रेलवे लीज होल्डर एसोसिएशन के पदाधिकारी रवि भंडारी कहते हैं, ‘ट्रांसपोर्टरों के लिए असली खतरा ये कॉरिडोर है जहां मालभाड़ा ट्रांसपोर्टरों के मुकाबले आधी होंगी।’
अंतरिम बजट का असर
स्टील उद्योग ने मालभाड़े में प्रति टन 198 रुपये कटौती की मांग की थी
लौह अयस्क को भी मालभाड़े में कोई छूट नहीं
नए वैगन की मांग निकलने पर स्टील उद्योग को हो सकता है फायदा
ट्रांसपोर्टरों ने कहा, कारोबार पर कोई असर नहीं
रेलवे की ढुलाई क्षमता पर ट्रांसपोर्टरों ने उंगली उठाई
मालगाड़ी के नए वैगन की क्षमता में 78 फीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव
2300 टन की जगह 4100 टन की हो सकेगी ढुलाई
ट्रांसपोर्टरों के मुकाबले डेडिकेटेड कॉरिडोर का किराया होगा आधा
पिछले पांच सालों में रेलवे के माल लदान में 8 फीसदी की बढ़ोतरी

First Published - February 13, 2009 | 10:28 PM IST

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