आम बजट आने से पहले सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के बारे में सरकार के शीर्ष स्तर की सोच एकदम स्पष्ट है। उसे लगता है कि जीडीपी में 6 से 6.5 फीसदी का लक्ष्य वित्त वर्ष 2024 और लघु से मध्यम अवधि में आसानी से पाया जा सकता है। इसलिए सरकार को राजकोषीय घाटा कम करने पर ध्यान देना चाहिए ताकि ऊंची ब्याज दर के इस माहौल में उधारी पर सरकार का खर्च बहुत अधिक न हो जाए।
आगामी बजट में बुनियादी ढांचे पर निवेश और कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च के बीच संतुलन बिठाने की कोशिश की जाएगी। मगर 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले आखिरी पूर्ण बजट होने के बाद भी यह बजट लोकलुभावन नहीं होगा।
2022-23 की आर्थिक समीक्षा अभी आने वाली है मगर उसमें अगले वित्त वर्ष के लिए 6-6.5 फीसदी जीडीपी वृद्धि का ही अनुमान जताए जाने की संभावना है।
केंद्र सरकार का मौजूदा रुख कठिन वैश्विक वृहद आर्थिक माहौल के मुताबिक ही है। ऐसे में सरकार मध्यम अवधि में 7-8 फीसदी की वृद्धि के पिछले अनुमान से नीचे आ सकती है। मगर भारत सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शुमार रह सकता है।
बजट से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय के बीच हो रहे विचार-विमर्श की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा, ‘माना जा रहा है कि लघु से मध्यम अवधि में 6-6.5 फीसदी की वृद्धि बरकरार रह सकती है और अर्थव्यवस्था के किसी भी क्षेत्र पर इसका बोझ नहीं पड़ेगा। इसके अलावा वित्त वर्ष 2024 में मुद्रास्फीति का दबाव भी वित्त वर्ष 2023 की तरह नहीं होगा।’
अधिकारी ने कहा, ‘भले ही भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी घरेलू खपत की मजबूती के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था से कम प्रभावित होती है मगर विकसित अर्थव्यवस्थाओं और चीन में मंदी का असर हम पर पड़ेगा। यह भी नहीं पता है कि यूरोप में भूराजनीतिक संकट कब खत्म होगा।’
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने विश्व आर्थिक अनुमान पर अपनी ताजा रिपोर्ट में आशंका जताई है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था का करीब एक तिहाई हिस्सा कैलेंडर वर्ष 2023 के दौरान मंदी के चपेट में आ जाएगा। मुख्य आर्थिक जोर केंद्र और राज्यों का राजकोषीय घाटा काबू में करने पर हो सकता है, जो कुल मिलाकर जीडीपी के 10 फीसदी को छू रहा है।
राजकोषीय घाटा कम करने की केंद्र सरकार की मध्यम अवधि की योजना के तहत बजट घाटे को वित्त वर्ष 2026 तक जीडीपी के 4.5 फीसदी पर लाने का लक्ष्य है। चालू वित्त वर्ष में इसे 6.4 फीसदी पर लाने की कोशिश जारी है। ‘
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले बजट में वित्त वर्ष 2024 में घाटे को जीडीपी के 5 से 5.6 फीसदी पर समेटने का लक्ष्य रख सकती हैं। पहले ही बताया जा चुका है कि केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2024 के लिए अपने पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी शायद नहीं करेगी।
First Published - January 22, 2023 | 9:58 PM IST
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