कोरोनावायरस महामारी की तगड़ी चोट खाने के बाद बजट पेश करना आसान काम नहीं था और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज सुबह वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश करने उठीं तो उन्होंने भी यही बात कही। उत्पादन में अभूतपूर्व कमी और उसकी वजह से राजस्व में ऐतिहासिक गिरावट ने भारत को खजाना संभालने का मौका ही नहीं दिया। राजकोषीय दायित्व के मामले में अपनी पीठ थपथपाने वाली नरेंद्र मोदी की सरकार को चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 9.5 फीसदी के बराबर घाटा झेलना पड़ रहा है, जिसकी वजह से उसे राजकोषीय दायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम में तब्दीली भी करनी पड़ेगी। सरकार समझती है कि कोविड-19 का असर एक ही साल में खत्म नहीं होगा, इसलिए उसने 2022-23 में भी राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.8 फीसदी के बराबर रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है। 2025-26 तक इसे जीडीपी के 4.5 फीसदी पर लाने का सरकार का लक्ष्य है।
मगर इसके बीच सरकार का पूरा जोर सेहत और बुनियादी ढांचे पर रहा। आम आदमी और वेतनभोगी वर्ग को करों में राहत देने के बजाय उसने अपनी मु_ी इन दोनों क्षेत्रों के लिए खोली। स्वास्थ्य में आवंटन बढ़ाकर 2.23 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया। इसी तरह बुनियादी ढांचे पर भी आवंटन बढ़ा दिया गया।
हालांकि राजस्व कम रहा और खर्च बढ़ा मगर प्रतिकूल हालात में भी सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की उम्मीद नहीं छोड़ी और उसके लिए उधारी लेने में भी वह पीछे नहीं हट रही है। राजकोषीय घाटे की भरपाई के कारण भी उसे अगले वर्ष 9.6 लाख करोड़ रुपये की उधारी लेनी पड़ेगी। साथ ही सरकार छोटी बचत के भंडार से भी इस वित्त वर्ष में 48,000 करोड़ रुपये और अगले वित्त वर्ष में 40,000 करोड़ रुपये निकालेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दिनों कहा था कि इस बार के बजट को कोरोना के कारण अभी तक आए राहत पैकेजों की ही शृंखला में माना जाए। मगर बजट कम से कम राहत या प्रोत्साहन देने वाला तो नहीं लगा। घाटे में इजाफे का असर हर जगह देखने को मिला है। ब्याज भुगतान के अलावा राजस्व व्यय नए वित्त वर्ष में संशोधित अनुमानों की अपेक्षा 8.6 फीसदी कम रहेगा। साथ ही नए वित्त वर्ष में खाद्य सब्सिडी, उर्वरक सब्सिडी, ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और एलपीजी के लिए सब्सिडी के लिए आवंटन में में 30 से 60 फीसदी कमी कर दी गई है। इसका असर आम आदमी के बजट पर दिखना तय है। बजट पर असर तो 1 अप्रैल से ही पडऩा शुरू हो जाएगा, जब कृषि बुनियादी ढांचा उपकर देना पड़ेगा। मगर बुनियादी ढांचे के लिए 25 फीसदी अधिक आवंटन की तारीफ होनी चाहिए।
शेयर बाजारों ने बजट की तारीफ की और फर्राटा भर लिया। विनिवेश के संकल्प और कर संहिता में बदलाव की उम्मीद बाजार के लिए अच्छी रही। बैड बैंक के जरिये बुरे कर्ज से निपटने की बात और दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की आशा में बैंकों के शेयर बल्लियों उछल गए।
बजट में बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी कर दी गई। सीतारमण ने सरकार की वित्तीय जरूरतें पूरी करने के लिए नई विकास वित्त संस्था की घोषणा की, जिसके जरिये अगले तीन साल में 5 लाख करोड़ रुपये की सरकारी उधारी का अनुमान लगाया गया।संपत्तियों के मुद्रीकरण का वायदा भी इस बजट की खासियत रही, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की बात भी है।
लेकिन अगले वित्त वर्ष के लिए विनिवेश का लक्ष्य घटाकर 1.75 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया। इसकी बड़ी वजह यह रही कि चालू वित्त वर्ष में शेयर बाजार के सरपट दौडऩे के बाद भी सरकार पिछले वर्ष के विनिवेश लक्ष्य का 15 फीसदी ही हासिल कर सकी। बजट में परिवहन क्षेत्र पर भी खास ध्यान रहा और उसे 2019-20 के वास्तविक आवंटन से 50 फीसदी अधिक आवंटन किया गया है।
सरकार ने तमाम मदों में खर्च कम करने की कोशिश की है मगर देश भर में स्वच्छ पेयजल देने के उद्देश्य से चलाए जा रहे जल जीवन मिशन के लिए आवंटन 2.57 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया। महामारी का झटका झेलने के बाद स्वास्थ्य के मद में आवंटन भी पिछले बजट से 137 फीसदी बढ़ा दिया गया।
उदय योजना के जरिये पिछले कुछ वर्षों में अच्छी खासी रकम हासिल कर चुके बिजली क्षेत्र को राहत देने के लिए अगले पांच साल में डिस्कॉम को 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक देने की बात बजट में कही गई है। लेकिन इसके लिए सुधारों पर चलना और नतीजे देना जरूरी होगा। उपभोक्ताओं को डिस्कॉम चुनने का विकल्प देने की बात भी एक बार फिर कही गई।
कुछ अहम घोषणाएं
विनिवेश के जरिये 2021-22 में 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य
सरकार अगले वित्त वर्ष में करीब 12 लाख करोड़ रुपये उधार जुटाएगी
भारतीय रेल के लिए 1,10,055 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया
सार्वजनिक बैंकों में 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का प्रस्ताव
पेट्रोल पर 2.5 रुपये डीजल पर 4 रुपये प्रति लीटर का कृषि बुनियादी ढांचा उपकर
2.5 लाख रुपये तक सालाना प्रीमियम वाली यूलिप योजना परिपक्व होने पर कर नहीं
बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49 से बढ़कर 74 फीसदी होगी
केवल पेंशन और ब्याज से आय वाले वरिष्ठ नागरिकों को नहीं भरना होगा आयकर रिटर्न
पुर्जों पर सीमा शुल्क बढ़ाने से फ्रिज, एसी, सेलफोन, कैमरे आदि महंगे होंगे