facebookmetapixel
AI क्रांति के बीच Meta ने 600 लोगों को नौकरी से निकाला, टॉप-लेवल हायरिंग पर फोकसDefence PSU के Q2 रिजल्ट की डेट घोषित! इस तारीख को हो सकता है डिविडेंड का बड़ा ऐलानग्रीन कार्ड होल्डर्स के लिए चेतावनी! लंबे समय तक विदेश में रहने पर हो सकता है प्रवेश रोकBPCL Q2 रिजल्ट की डेट तय! इस दिन हो सकता है डिविडेंड का बड़ा ऐलानRussian oil: अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद रूस से भारत की तेल सप्लाई लगभग बंद होने की संभावनाSwiggy Q2 रिजल्ट की डेट हुई घोषित! जानिए कब आएंगे कंपनी के तिमाही नतीजेASEAN Summit: पीएम मोदी नहीं जाएंगे मलेशिया, इस बार वर्चुअली ही होंगे शामिलभारत में Apple की बड़ी छलांग! 75 हजार करोड़ की कमाई, iPhone 17 बिक्री में चीन को भी पीछे छोड़ाInfosys buyback: नंदन नीलेकणी-सुधा मूर्ति ने ठुकराया इन्फोसिस का ₹18,000 करोड़ बायबैक ऑफरGold-Silver Price Today: भाई दूज पर सोने-चांदी की कीमतों में उछाल, खरीदने से पहले जान लें आज के दाम

निजीकरण की तैयारी: बिजली वितरण में निजी निवेश के लिए पहल 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में घोषणा की है कि राज्यस्तरीय बिजली पारेषण एवं वितरण बुनियादी ढांचे में सुधारों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

Last Updated- February 02, 2025 | 11:37 PM IST
Power Supply

केंद्र ने राज्यों को अपने बिजली बुनियादी ढांचे में सुधार करने और उसे निजी निवेश के लिए खोलने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आम बजट में एक नई योजना शुरू करने का प्रसताव किया है। यह पहल ऐसे समय में की गई है जब उत्तर प्रदेश की सबसे अधिक घाटा दर्ज करने वाली दो बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) निजीकरण की तैयारी कर रही हैं। यह 2020 में ओडिशा की डिस्कॉम के निजीकरण के बाद सबसे बड़ी पहल है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में घोषणा की है कि राज्यस्तरीय बिजली पारेषण एवं वितरण बुनियादी ढांचे में सुधारों को प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘इन सुधारों के आधार पर राज्यों को जीएसडीपी का 0.5 फीसदी अतिरिक्त उधार लेने की अनुमति दी जाएगी।’ 

केंद्रीय बजट में ‘सुधार से जुड़ी वितरण योजना’ का खुलासा किया गया है और इसके लिए 16,021 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसका उद्देश्य बिजली पारेषण एवं वितरण क्षेत्र में निजी निवेश को आमंत्रित करना है। बजट दस्तावेज में कहा गया है, ‘यह योजना सभी के लिए चौबीसों घंटे बिजली सुनिश्चित करने और वितीय लिहाज से एक व्यवहार्य वितरण क्षेत्र तैयार करने उद्देश्य से परिणाम एवं सुधार पर आधारित वित्तीय मदद  के तौर पर वितरण उप-क्षेत्रों के लिए है। इस योजना के तहत सुधार पैकेज को अपनाने के मामले में डिस्कॉम को सहायता प्रदान करने की परिकल्पना की गई है जिसमें वितरण कंपनियों का पीपीपी स्वामित्व, वितरण स्तर पर विभिन्न फ्रेंचाइजी मॉडल आदि शामिल हैं।’

केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बजट घोषणा पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘बिजली वितरण कंपनियों की वित्तीय सेहत एवं परिचालन स्थिरता को बेहतर करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता और अंतरराज्यीय पारेषण क्षमता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन से बिजली क्षेत्र की दक्षता में जबरदस्त सुधार होगा।’

हालांकि 2015 से 2019 के बीच उदय योजना और मौजूदा आरडीएसएस जैसी योजनाओं के जरिये केंद्र ने डिस्कॉम में सुधारों को आगे बढ़ाने की कोशिश की है, लेकिन मामूली राहत के साथ घाटे में वृद्धि जारी रही। उदय योजना के तहत बिजली वितरण कंपनियों के लिए सुधार के उपाय करने वाले राज्यों को अतिरिक्त उधार लेने की अनुमति दी गई। मगर किसी भी राज्य ने निजीकरण का रास्ता नहीं अपनाया बल्कि कुछ राज्यों ने निजी कंपनियों के साथ तकनीकी साझेदारी अथवा फ्रैंचाइजी का विकल्प चुना।

वास्तव में केंद्र का ताजा प्रयास डिस्कॉम की वित्तीय सेहत और परिचालन को बेहतर करने के लिए निजीकरण अथवा पीपीपी या फ्रेंचाइजी जैसे उपायों की ओर ले जाने का ऐसा तीसरा प्रयास है। खट्टर ने पिछले साल नवंबर में राज्यों से आग्रह किया था कि मुनाफा कमाने वाली बिजली वितरण कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कराया जाए। साथ ही उन्होंने संकटग्रस्त डिस्कॉम की सूची तैयार करने के लिए भी कहा था। मंत्री ने कहा, ‘डिस्कॉम का मौजूदा संचयी ऋण 6.84 लाख करोड़ रुपये है जबकि उनका अब तक का संचित घाटा 6.46 लाख करोड़ रुपये हो चुका है।’ पिछले साल पीएफसी की वार्षिक डिस्कॉम ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022-23 के दौरान डिस्कॉम का कुल कर्ज बढ़कर 70,000 करोड़ रुपये हो गया। इसमें 16 राज्यों ने अपने वित्तीय घाटे में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की और इनमें 11 बड़े राज्य हैं। परिचालन घाटे को दर्शाने वाला कुल तकनीकी एवं वाणिज्यिक (एटीऐंडसी) घाटा पिछले साल 15 फीसदी रहा था जो बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 17 फीसदी हो गया। 

साल 2023 में सरकारी स्वामित्व वाली बिजली वितरण कंपनियों ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कार्यशील पूंजी जुटाने के लिए कुछ परिसंपत्तियों को भुनाने का प्रस्ताव केंद्र के समक्ष रखा था। केंद्रीय बिजली मंत्रालय द्वारा डिस्कॉम की ऋण स्थिरता के लिए समिति गठित करने के विचार को कई राज्यों के बिजली विभागों और बिजली वितरण कंपनियों का समर्थन मिला था।

2016 में बिजली अधिनियम, 2003 में संशोधन के मसौदे में ‘कंटेंट-कैरिज’ को अलग करने का सुझाव दिया गया था, जहां किसी एक क्षेत्र में कई बिजली आपूर्तिकर्ताओं को अनुमति देने और बुनियादी ढांचे का स्वामित्व राज्य के पास रखने की बात कही गई थी। मगर उस विधेयक को संसद में पेश करना अभी बाकी है। उसके बाद 2023 में बिजली नियमों के तहत किसी भी क्षेत्र में दूसरे बिजली आपूर्तिकर्ता के लिए बोली लगाने की अनुमति दी गई, लेकिन इसके लिए बिजली नियामक को आवेदन करना होगा। अब तक केवल अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड द्वारा ऐसा प्रयास किया गया है। पिछले सप्ताह चंडीगढ़ का बिजली वितरण आरपी संजीव गोयनका के समूह को सौंपा गया है।

First Published - February 2, 2025 | 11:37 PM IST

संबंधित पोस्ट