मंदी की मार में ग्राहकों की बेरुखी झेल रहे ऑटो सेक्टर के लिए सरकार एक तरह का राहत पैकेज ही लाने की तैयारी में है।
सरकार, देश के प्रतिरक्षा बलों की दो साल की जरूरतों को ध्यान में रखकर वाहन खरीदने की योजना पर काम कर रही है। इसका मतलब यह हुआ कि तकरीबन 3,000 से 4,000 करोड़ रुपये के इस सरकारी ऑर्डर से वाहन कंपनियों के साथ-साथ स्टील कंपनियों को भी फायदा होगा।
इस मामले से जुड़े एक सूत्र का कहना है, ‘यह सुझाव पिछले महीने हुई सचिवों की बैठक के दौरान आया। अगर सरकार इसको मंजूरी दे देती है तो अगले छह महीनों में 3,000 से 4,000 करोड़ रुपये के वाहन खरीदे जाएंगे।’
तीनों सेनाओं के लिए महिंद्रा ऐंड महिंद्रा (एम ऐंड एम), अशोक लीलैंड, मारुति सुजूकी और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियां ही मुख्य तौर पर वाहनों की आपूर्ति करती हैं। वहीं, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, इस्पात और एस्सार स्टील जैसी कंपनियां हीं इन ऑटो कंपनियों को स्टील बेचती हैं। ऐसे में इस बड़ी खरीद से इन दोनों सेक्टरों को फायदा पहुंचेगा।
ऑटो उद्योग के लिए सरकारी मोर्चे से एक और अच्छी खबर यह है कि अंतरिम बजट में सरकार ने जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी पुनर्निर्माण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत 63 शहरों के लिए 15,000 बसें खरीदने का फैसला किया है। इस बसों को चालू वित्त वर्ष के दौरान ही खरीदे जाने के प्रयास चल रहे हैं।
सेनाओं की जरूरत का सामान बनाने वाली सरकारी कंपनी बीईएमएल के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, ‘हमें उम्मीद है कि इस साल सेनाओं के लिए बड़ी खरीद होंगी, जिससे बाजार को फायदा होगा। हमने सेनाओं की जरूरत के हिसाब से कुछ नये वाहन डिजाइन किए हैं, जिनमें से कई का परीक्षण भी हो चुका है।’
पिछले साल इस कंपनी ने 670 करोड़ रुपये के वाहनों की बिक्री सेना को की थी। इस कंपनी को उम्मीद है कि इस साल यह आंकड़ा एक हजार करोड रुपये तक पहुंच जाएगा। वैसे, सेनाओं के लिए वाहन खरीद बजट की कोई किल्लत नहीं है। सरकार ने अंतरिम बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए बजट को 20,000 करोड़ रुपये बढ़ाकर 1,41,703 करोड़ रुपये कर दिया है।
डूबते वाहन बाजार को बचाने के लिए सेना खरीदेगी तीन से चार हजार करोड़ के वाहन
रक्षा बजट में इस साल 20 हजार करोड़ रुपये का हुआ है इजाफा
63 शहरों के लिए 15 हजार बसें भी खरीदेगी सरकार