आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी का कहना है कि राज्य में मायटास इन्फ्रा या उसके समूह की सार्वजनिक परियोजनाओं की करीबी जांच की जाएगी।
सत्यम और उसकी सहायक कंपनियों के साथ उनकी सरकार पर लगाए जाने वाले आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ‘हमने पहले ही राज्य मुख्य सचिव को मायटास इन्फ्रा को या संयुक्त उपक्रम में साझेदारी में मिली परियोजनाओं की समीक्षा के लिए कह दिया है।’
सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के संस्थापक रामलिंग राजू और उनके परिवार की मायटास इन्फ्रा में 36 फीसदी हिस्सेदारी है। उन्होंने कहा, ‘सरकार पहले ही मायटास इन्फ्रा और उसके साझेदारों की कार्यान्वयन क्षमताओं का मूल्यांकन करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। यह परियोजनाओं के हर पहलू पर विचार करेगी कि क्या कंपनी (मायटास इन्फ्रा) और उसके समूह साझेदारों में परियोजनाओं को चला सकते हैं या परियोजनाओं पर संकट मंडरा रहा है।’
मायटास और उसकी संयुक्त उपक्रम में साझेदारी के साथ कंपनी के पास कुल 3,800 करोड़ रुपये कीमत की परियोजनाएं हैं। उनका कहना है, ‘इस तहकीकात में 12,000 करोड़ रुपये वाली हैदराबाद मेट्रो रेल परियोजना और 1,50650 करोड़ रुपये वाली मछलीपत्तनम बंदरगाह परियोजना शामिल है, जिनमें मायटास इन्फ्रा अग्रणी साझेदार है।’
हैदराबाद मेट्रो रेल परियोजना वाले समूह में मायटास (26 प्रतिशत), नवा भारत वेंचर्स (16 प्रतिशत), इटल-थाई (5 प्रतिशत) और आईएलऐंडएफएस (5 प्रतिशत) शामिल है। इसके अलावा इस परियोजना में बाकी बची 48 फीसदी हिस्सेदारी सार्वजनिक या दूसरे स्रोतों के पास होगी।
मछलीपत्तनम परियोजना में राज्य सरकार ने मायटास को 3 वर्ष के लिए 111 करोड़ रुपये की व्यवाहर्यता अंतर निधि देने की मंजूरी दी है। इस परियोजना में मायटास की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत, श्रेई इन्फ्रास्ट्रक्चर की हिस्सेदारी 38 और नागार्जुन कंस्ट्रक्शन और शरत चटर्जी ऐंड कंपनी की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत है।
रेड्डी का कहना है कि मायटास या उसके अग्रणी समूह के साथ किए गए सभी रियायती करारों में एक क्लॉज है, जिसके तहत अगर कंपनी परियोजना को पूरा करने में नाकामयाब होती है तो कंपनी या उसके संयुक्त उपक्रम में साझेदार किसी भी तरह के कानूनी परिणाम के लिए जिम्मेवार होंगे।
मुख्यमंत्री का कहना है, ‘हम मायटास और उसके समूह के साझेदारों पर आगे की कार्रवाई का फैसला तब लेंगे जब हमें मुख्य सचिव से विस्तृत जानकारी मिल जाएगी।’ इसके अलावा सरकार ने अपने अधिकारियों को मायटास कंपनियों को आगे किसी भी काम के लिए मंजूरी न देने के आदेश दिए हैं। रेड्डी ने प्रधानमंत्री से गुहार लगाई है कि वे सत्यम और उसके शेयरधारकों के 53,000 कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए जल्द कदम उठाएं।