शहरी और ग्रामीण दोनो इलाकों में श्रम बाजार कोविड-19 के पहले के स्तर पर पहुंच गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2022-23 के मुताबिक आपूर्ति और मांग दोनों मामलों में यह अब महामारी के पहले के स्तर पर है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा कराए गए आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) 2020-21 में कहा गया कि बेरोजगारी की दर 2018-19 के 5.8 प्रतिशत की तुलना में 2020-21 में घटकर 4.2 प्रतिशत रह गई, वहीं महिलाओं और पुरुषों दोनों के मामले में श्रम बल हिस्सेदारी दर (एलएफपीआर) में भी सुधार आया है।
समीक्षा में कहा गया है, ‘ग्रामीण महिला श्रम बल की हिस्सेदारी की दर में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। यह 2018-19 के 19.7 प्रतिशत से बढ़कर 2020-21 में 27.7 प्रतिशत हो गई है। वहीं पुरुषों की श्रम बल में हिस्सेदारी की दर 2020-21 में 57.5 प्रतिशत हो गई है, जो 2018-19 में 55.6 प्रतिशत थी।’
बहरहाल आर्थिक समीक्षा में महिला श्रम बल हिस्सेदारी दर की गणना में मापन के मसलों पर प्रकाश डाला गया है और कहा गया है कि महिलाओं के काम को श्रम बल में हिस्सेदारी को उत्पादक काम तक सीमित करना संकीर्ण मसला है और इसे बाजार के उत्पाद के रूप में मापा जाता है।
समीक्षा में कहा गया है, ‘इसमें महिलाओं द्वारा घर में किए गए काम को शामिल नहीं किया गया है, जिसका उन्हें कोई भुगतान नहीं मिलता है। इसे खर्च बचाने की कवायद के रूप में देखा जा सकता है। इसमें जलावन लकड़ी एकत्र करने, खाना बनाने से लेकर बच्चों को पढ़ाने तक का काम शामिल है। यह परिवार के जीवन के स्तर में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।’
श्रम बाजार में मांग की स्थिति को दिखाते हुए श्रम ब्यूरो द्वारा कराए गए तिमाही रोजगार सर्वे (क्यूईएस) में अनुमान लगाया गया है कि हाल के और चौथे राउंड (जनवरी-मार्च 2022) के 9 चुनिंदा क्षेत्रों में कुल अनुमानित रोजगार 3.2 करोड़ रहा है। यह पहले राउंड के क्यूईएस (अप्रैल-जून 2021) के अनुमानित रोजगार की तुलना में करीब 10 लाख ज्यादा है।
समीक्षा में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 22 की पहली तिमाही से वित्त वर्ष 22 की चौथी तिमाही के बीच कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी की वजह आईटी-बीपीओ सेक्टर (17.6 लाख), शिक्षा (1.7 लाख) जैसे क्षेत्रों में रोजगार में बढ़ोतरी है। डिजिटलीकरण बढ़ने और सेवा क्षेत्र के फिर से गति पकड़ने की वजह से ऐसा हुआ है। वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में कुल कार्यबल में 86.4 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ सभी सेक्टरों में बहुसंख्य कर्मचारी नियमित कर्मचारी थे।’
समीक्षा में कहा गया है कि नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 लागू होने के बाद कौशल में सुधार और शिक्षा क्षेत्र में सुधार के कारण रोजगार के अवसर बढ़े हैं, जिसमें सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा को जोड़ने और व्यावसायिक शिक्षा को मुख्य धारा में लाने की कवायद की गई है।
वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही के क्यूईएस में कहा गया है कि कम से कम 10 कामगारों को नौकरी पर रखने वाले 9 प्रमुख क्षेत्रों में 15.6 प्रतिशत ने औपचारिक कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया और 20.5 प्रतिशत ने नौकरी पर रखकर प्रशिक्षण दिया।
स्वास्थ्य क्षेत्र में औपचारिक कौशल प्रशिक्षण (24.7 प्रतिशत) और नौकरी पर रखकर प्रशिक्षण (31.6 प्रतिशत) सबसे ज्यादा रहा, जबकि उसके बाद वित्तीय सेवाएं दूसरे स्थान पर रहीं जहां 20.4 प्रतिशत औपचारिक प्रशिक्षण और 26.4 प्रतिशत को नौकरी पर रखकर प्रशिक्षण दिया गया।
समीक्षा में यह भी कहा गया है कि सामाजिक सेवा पर व्यय में जीडीपी के प्रतिशत के रूप में व्यय वित्त वर्ष 16 के 6.6 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 23 में 8.3 प्रतिशत हो गया। वहीं कुल व्यय के हिस्से के रूप में सामाजिक सेवाओं पर व्यय भी वित्त वर्ष 16 के 24.3 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 23 में 26.6 प्रतिशत हो गया है। इस बढ़े व्यय का असर आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत सभी जिलों में देखा जा सकता है।
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समीक्षा में कहा गया है, ‘उदाहरण के लिए स्वास्थ्य और पोषण के तहत 46 जिलों में 45 प्रतिशत तक सुधार हुआ है और 23 जिलों में 69 प्रतिशत सुधार हुआ है। यह सुधार गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़े संकेतकों में हुआ है। शिक्षा के क्षेत्र में 46 जिलों में 34 प्रतिशत तक सुधार हुआ है और 29 जिलों में 49 प्रतिशत तक सुधार हुआ है।’