केंद्रीय कैबिनेट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट नीति को हरी झंडी दे दी है।
अब कैबिनेट की मंजूरी के बिना भी मंत्रालय, देश में किसी भी नई ग्रीनफील्ड योजना को मंजूरी दे सकेगा। इस नीति में कहा गया था कि कैबिनेट की स्वीकृ ति के बगैर भी नागरिक उड्डयन मंत्रालय किसी नई परियोजना को मंजूरी दे सकेगा।
वर्तमान एयरपोर्टों के 150 किलोमीटर की परिधि में दूसरे एयरपोर्ट को मंजूरी के सिलसिले में कैबिनेट में कहा है कि इस पर अलग अलग मामलों के मुताबिक निर्णय लिया जाएगा।
इसमें यह भी कहा गया है कि नए एयरपोर्ट के निर्माण प्रस्ताव का पुराने एयरपोर्टों पर पड़ने वाले प्रभाव का भी अध्ययन किया जाएगा। वर्तमान एयरपोर्ट नीति में कहा गया है कि किसी भी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के 150 किलोमीटर की परिधि के दायरे में दूसरे एयरपोर्ट का निर्माण नहीं किया जा सकता है।
नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने कहा, ‘हमारे दोनों प्रस्तावों को मंजूरी मिल गई है। 150 किलोमीटर की परिधि में दूसरे एयरपोर्ट के निर्माण का नियम केवल हैदराबाद और बेंगलुरु एयरपोर्ट के मामलों में ही लागू होगा, जहां समझौतों की बाध्यता है।’
दूसरी नीति को भी मंजूरी मिल गई है। इसमें कहा गया है कि नए एयरपोर्ट के निर्माण के प्रस्तावों के बारे में नागरिक उड्डयन मंत्रालय और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ही फैसला करेंगे। हालांकि इन्हें पहले सुरक्षा मानकों पर गृह मंत्रालय से स्वीकृति लेनी होगी। इस मामले में कैबिनेट की मंजूरी की कोई जरूरत नहीं होगी।इस समय विभिन्न कंपनियों के 10 प्रस्ताव मिले हैं, जिसमें सहारा समूह और वेदांत एलुमिना के विभिन्न इलाकों में निजी एयरपोर्ट बनाए जाने के प्रस्ताव शामिल हैं।