केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में स्वास्थ्य क्षेत्र पर विशेष जोर दिया गया है। उन्होंने इस मद में आवंटन को लगभग दोगुना करते हुए 2,23,846 करोड़ रुपये करने की घोषणा की है। यह संशोधित अनुमान के मुकाबले करीब 118 फीसदी अधिक है। इमसें कोविड-19 के टीकाकरण मद में 35,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। उद्योग ने सरकार की इस पहल का स्वागत किया है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘इस बजट में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे पर निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। आगे चलकर यदि संस्थान अधिक खर्च करेंगे तो हम कहीं अधिक प्रतिबद्धता दिखाएंगे।’ कोविशील्ड टीका का उत्पादन करने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अदार पुनावाला ने कहा कि यह आवंटन पूरी आबादी के टीकाकरण के लिए पर्याप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘लेकिन इससे एक उल्लेखनीय आबादी को कवर किया जा सकता है।’
बजट अनुमान 2020-21 के मुकाबले वित्त मंत्री द्वारा किया गया यह आवंटन करीब 137 फीसदी अधिक है। इस साल कोविड टीकाकरण को ध्यान में रखकर स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती के लिए आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है। इसके अलावा पेयजल, स्वच्छता एवं स्वास्थ्य मद में खर्च को भी ध्यान में रखा गया है।
जायडस कैडिला के चेयरमैन पंकज पटेल ने कहा कि टीकाकरण के लिए आवंटन से परिदृश्य सुनिश्चित हो गया है। कंपनी कोविड टीके की दौड़ में आगे रही है। टीका बनाने वाली एक अन्य कंपनी ने कहा है कि यदि प्रति खुराक टीके की लागत करीब 250 रुपये रहती है तो आवंटित रकम से सरकार 20 करोड़ लोगों से अधिक को कवर नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा संभवत: राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के कम विस्तार को ध्यान में रखते हुए किया गया है।’ वित्त मंत्रालय खुद देश में वैश्विक महामारी की प्रतिक्रिया पर नजर रख रहा है और आवंटन में करीब 11 फीसदी की कमी आई है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और अनुसंधान विभागों के व्यय संबंधी बजट में कमी आई है। हालांकि संशोधित बजट खुद 2020-21 के लिए बजटीय आवंटन के मुकाबले करीब 24 फीसदी अधिक है।
केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित नई योजना पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना से देश में जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को बल मिलेगा। इसके तहत छह वर्षों के दौरान 64,180 करोड़ रुपये के परिव्यय की घोषणा की गई है। वित्त मंत्री ने कहा कि इससे प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था को विकसित करने, मौजूदा राष्ट्रीय संस्थानों को मजबूती देने और नए संस्थान स्थापित करने में मदद मिलेगी ताकि नई एवं उभरती बीमारियों को पता लगाने और उससे निपटने में मदद मिल सके। इसके तहत सरकार वन हेल्थ के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान, डब्ल्यूएचओ दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय अनुसंधान प्लेटफॉर्म, नौ बायो-सेफ्टी लेबल-3 प्रयोगशालाओं और वायरोलॉजी के लिए चार क्षेत्रीय राष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना करेगी।