केंद्रीय बजट 2022 पेश किए जाने के पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण व उनके अधिकारियों को अर्थशास्त्रियों ने सुझाव दिया है कि तेज राजकोषीय सुधार नहीं किया जाना चाहिए और बुनियादी ढांचे पर सार्वजनिक निवेश पर ध्यान बरकरार रखा जाना चाहिए जिससे कि आगे मांग और बहाल रखी जा सके।
बुधवार को बजट पूर्व बैठक में अर्थशास्त्रियों ने यह भी सुझाव दिया है कि केंद्र सरकार को कर नीति में निरंतरता व स्थिरता बरकरार रखना चाहिए और दरों में बहुत ज्यादा फेरबदल नहीं करना चाहिए।
इस चर्चा के बारे में जानने वाले एक व्यक्ति ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘प्रमुख सुझाव यह था कि तेज राजकोषीय सुधार की ओर नहीं जाया जाए। पूंजीगत व्यय पर ध्यान केंद्रित रखा जाए क्योंकि खपत, निवेश और मांग में सुधार अभी सुस्त है।’
सूत्र के मुताबिक करीब सभी अर्थशास्त्रियों ने सरकार से सिफारिश की है कि राजकोषीय स्थिति को लेकर बहुत ज्यादा आक्रामक होने की जरूरत नहीं है और राजस्व अनुमान को लेकर वित्त वर्ष 2022-23 में परंपरागत रहना होगा। साथ ही कल्याणकारी योजनाओं और पूंजीगत व्यय पर व्यय की संभावना बनाए रखने की जरूरत है।
इस बैठक में सुरजीत भल्ला, पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार नितिन देसाई, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य (ईएसी-पीएम) सज्जाद शिनॉय, मौद्रिक नीति समिति की पूर्व सदस्य और ईएसी-पीएम की सदस्य अशिमा गोयल, भारतीय स्टेट बैंक के सौम्यकांति घोष, बार्कलेज के राहुल बाजोरिया, डाएच्च बैंक के कौशिक दास, एचएसबीसी के प्रांजल भंडारी और आदित्य बिड़ला समूह के अजित रानाडे के अलावा अन्य शामिल थे।
सीतारमण के अलावा इस वर्चुअल बातचीत में वित्त सचिव टीवी सोमनाथन, आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ, दीपम सेक्रेटरी तुहिन कांत पांडेय, कंपनी मामलों के सचिव राजेश वर्मा और प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल शामिल थे।
बैठक में हुई चर्चा के बारे में जानने वाले एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘ज्यादातर सुझाव कर के अनुमान और स्थिरता को बरकरार रखने पर थी, वहीं कुछ लोगों ने सरकार को सलाह दी सरकार को प्रत्यक्ष कर संहिता का 4 साल का खाका प्रस्तुत करना चाहिए।’
माना जा रहा है कि अर्थशास्त्रियों ने सरकारी अधिकारियों को सुझाव दिया है कि रोजगार के अनुकूल योजनाओं और व्यवस्था पर ध्यान देने, उधारी कार्यक्रम जारी रखने व बॉन्ड दरें स्थिर रखने और अक्षय ऊर्जा पर ज्यादा केंद्रित नीति की घोषणा की जरूरत है।
अर्थशास्त्रियों ने विभिन्न क्षेत्रों में तेज रिकवरी के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों और महामारी से निपटने के लिए की गई सरकार की कवायदों की सराहनाा की।
अर्थशास्त्रियों के साथ हुई इस बैठक के साथ सीतारमण ने अपनी बजट पूर्व बैठक पूरी कर ली है। पिछले सप्ताह से सीतारमण और शीर्ष अधिकारी उद्योग संगठनों, कृषि व खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के प्रतिनिधियों, श्रम संगठनों, पूंजी बाजारों, बुनियादी ढांचा और हरित ऊर्जा क्षेत्रों, सेवा एवं व्यापार निकायों, सामाजिक क्षेत्र के संगठनों प अर्थशास्त्रियों के साथ चर्चा कर रहे हैं।
