सरकार वित्त वर्ष 2025 के बजट में नई योजनाओं, जिन्हें अभी लागू किया जाना है, के लिए आवंटित पूंजी और राजस्व व्यय दोनों मद में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक की बचत कर सकती है। वित्त वर्ष 2025 का बजट पिछले साल जुलाई में पेश किया गया था। उस समय सरकार ने रोजगार से संबंधित तीन प्रोत्साहन योजनाओं की घोषणा की थी और इनके लिए सालाना 10,000 करोड़ रुपये का बजट रखा था। इसी तरह कौशल विकास मंत्रालय को 1,000 आईटीआई को अपग्रेड बनाने की योजना क्रियान्वित करने का काम दिया गया था जिसके लिए चालू वित्त वर्ष में 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। मगर ये योजनाएं अभी तक शुरू नहीं हुई हैं।
वित्त मंत्रालय ने आर्थिक मामलों के विभाग के पास नई योजनाओं के लिए 62,000 करोड़ रुपये रखे हैं। वित्त वर्ष खत्म होने में करीब ढाई महीना ही बचा है ऐसे में इनमें से ज्यादातर राशि खर्च होने की उम्मीद नहीं है।
आर्थिक मामलों के विभाग के पूर्व सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा, ‘मंत्रालय को यह आवंटन आम तौर पर किसी योजना के लिए आवंटित नहीं की गई एकमुश्त राशि है और पैसों का उपयोग नहीं होने पर यह आवंटन समाप्त हो जाएगा। इस रकम को नई योजनाओं के लिए रखा गया था। सरकार चुनाव के बाद आ रही थी और उसे अपने खर्च की रणनीति बनाने के लिए समय की आवश्यकता थी।’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुशलता और रोजगार के लिए अपनी तरह का पहला अनूठा इंटर्नशिप कार्यक्रम की भी घोषणा की थी। इसके लिए 2,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था और कंपनी मामलों के मंत्रालय ने 800 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से इसका प्रायोगिक परीक्षण शुरू किया था। यह योजना अगले वित्त वर्ष में पूरी तरह से शुरू हो सकती है।
इसके अलावा अनुसंधान राष्ट्रीय शोध कोष के तहत बुनियादी शोध और प्रोटोटाइप विकास के लिए वित्त वर्ष 2025 के अंतरिम बजट में रकम आवंटित की गई थी लेकिन यह योजना अभी चालू नहीं हुई है। राष्ट्रीय शोध कोष के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को इस योजना के लिए 2,000 करोड़ रुपये दिए गए थे।
वित्त वर्ष 2025 के बजट में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 फीसदी पर सीमित करने का लक्ष्य रखा गया था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा वित्त वर्ष 2025 के अग्रिम वृद्धि अनुमान में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में नॉमिनल जीडीपी की वृद्धि सुस्त होकर 9.7 फीसदी रह सकती है जिसके बजट में 10.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। मगर इसका राजकोषीय घाटे को कम करने के लक्ष्य पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि पूंजीगत खर्च की रफ्तार अभी तक धीमी रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 में 11.1 लख करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च का लक्ष्य रखा गया था लेकिन वास्तविक खर्च इससे 1 लाख करोड़ से 1.5 लाख करोड़ रुपये कम रह सकता है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.9 फीसदी रह सकता है जबकि अनुमान 4.7 फीसदी का था।
बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस का कहना है कि 62,000 करोड़ रुपये केवल वित्त वर्ष 2025 के बजट में जोड़े गए थे और यह सरकार के पूंजी खाते का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘यह राशि 11.1 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय लक्ष्य का हिस्सा है और यदि इसका उपयोग नहीं होता है तो यह निश्चित रूप से घाटा कम करने में मदद करेगी।’