Union Budget 2024: कांग्रेस पार्टी से वित्त मंत्री रहे मोरारजी देसाई का रिकॉर्ड आज टूटने जा रहा है। लगातार सातवीं बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने जा रही हैं। PM मोदी ने कल मीडिया से बातचीत में कहा था कि यह बजट 2047 तक विकसित भारत की नक्शा तैयार करेगा। बता दें कि मोरारजी देसाई ने लगातार 6 बार संसद में बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री थे।
इस बजट को लेकर सरकार से लोगों को काफी उम्मीदें हैं। तीसरी बार मोदी सरकार को सत्ता में आने के पीछे यह भी संकेत मिलता है कि जनता उनके आर्थिक सुधारों को लेकर काफी उत्सुक है। इस बार का बजट इसलिए भी ऐतिहासिक होने जा रहा है क्योंकि इसमें पिछले 10 साल की सरकार की परफॉर्मेंस की झलक दिखाई देगी। बता दें कि आमतौर पर बजट हर साल की 1 फरवरी को पेश किया जाता है मगर इस बार लोकसभा का चुनाव होने के नाते पूर्ण बजट की जगह अंतरिम बजट पेश किया गया था। आज सरकार पूर्ण बजट पेश कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले पूर्ण बजट में इन आंकड़ों पर खासतौर से सबकी नजर रहेगी।
सरकार के कुल खर्च और आमदनी के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा यानी फिस्कल डेफिसिट कहा जाता है। इस साल फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट (Interim Budget 2024) के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में 5.1 फीसदी रहने का अनुमान है। यह आंकड़ा पिछले वित्त वर्ष में 5.8 फीसदी था। हालांकि, आदर्श स्थिति यह है कि फिस्कल डेफिसिट GDP का 3 फीसदी तक ही रहना चाहिए।
इस साल टैक्स कलेक्शन में शानदार उछाल देखने को मिला है, यानी सरकार की झोली में जमकर पैसा गया है। ऐसे में पूर्ण बजट में पहले से बेहतर अनुमान दिए जाने की उम्मीद है। सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 4.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।
2, पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure)
चालू वित्त वर्ष (FY2024-25) के लिए सरकार का नियोजित पूंजीगत खर्च 11.1 लाख करोड़ रुपये है, जो पिछले वित्त वर्ष के 9.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। सरकार बुनियादी ढांचे के विकास (Infrastructure Development) पर जोर दे रही है और राज्यों को पूंजीगत खर्च बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित भी कर रही है।
22 जुलाई यानी कल जारी आर्थिक समीक्षा 2023-24 (Economic Survey 2024) में अहम इंफ्रास्ट्रक्तर सेक्टर में निजी पूंजी खर्च की कमी का उल्लेख किया गया और कहा गया कि उद्योग से पूंजीगत खर्च का स्तर संतोषप्रद नहीं है।
समीक्षा में कहा गया था कि वित्त वर्ष 2019 और 2023 के बीच कुल निवेश में केंद्र ने 49 फीसदी और राज्य सरकारों ने 29 फीसदी का योगदान दिया, जबकि निजी क्षेत्र का योगदान महज 22 फीसदी रहा।
अंतरिम बजट में 2024-25 के लिए सकल कर राजस्व 38.31 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 11.46 प्रतिशत अधिक है।
इसमें प्रत्यक्ष करों (व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट कर) से 21.99 लाख करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष करों (सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और जीएसटी) से 16.22 लाख करोड़ रुपये आने का अनुमान है।
4. GST:
वित्त वर्ष 2024-25 में माल एवं सेवा कर (GST) कलेक्शन 11.6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 10.68 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष के अंतिम बजट में कर राजस्व के आंकड़ों पर नजर रखनी होगी।
अंतरिम बजट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में सरकार का सकल उधार बजट 14.13 लाख करोड़ रुपये था। सरकार अपने राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए बाजार से कर्ज लेती है। बाजार की नजर उधारी के आंकड़ों पर रहेगी।
अंतरिम बजट के अनुसार चालू वित्त वर्ष में भारत की वर्तमान कीमतों पर जीडीपी (वास्तविक जीडीपी और मुद्रास्फीति का जोड़) 10.5 प्रतिशत बढ़कर 3,27,700 अरब रुपये होने का अनुमान है।
7. डिविडेंड:
अंतरिम बजट में RBI और वित्तीय संस्थानों से 1.02 लाख करोड़ रुपये का लाभांश मिलने का अनुमान है। इसे बढ़ाया जाएगा, क्योंकि RBI ने मई में पहले ही 2.11 लाख करोड़ रुपये का अधिशेष हस्तांतरित कर दिया है। साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) से 43,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।