केंद्रीय बजट की तरह ही महाराष्ट्र के बजट पर चुनावी रंग नजर आया। राज्य के वित्त मंत्री जयंत पाटिल ने बजट में शहरी और ग्रामीण, दोनों इलाकों का खास ध्यान रखा है।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय बजट में सीमांत और लघु किसानों के कर्जमाफ किए गए, लेकिन जो किसान इस लाभ से वंचित रह गए, उन्हें भी राज्य सरकार की ओर से राहत देने की बात कही गई है। इसकेसाथ ही वित्त मंत्री ने शहरी क्षेत्र के लोगों को राहत पहुंचाने के मकसद से 15 डी श्रेणी की नगरपालिकाओं, जिनमें औरंगाबाद, कोल्हापुर, शोलापुर, सांगली आदि शामिल हैं, में चुंगी शुल्क को खत्म करने का इरादा जताया है।
हालांकि अब इन शहरों में नवी मुंबई नगरपालिका की तरह उपकर लगाया जाएगा। हालांकि मुंबई, पुणे, नागपुर, नासिक, थाणे और पिंपरी-चिंचवाड़ नगरपालिकाओं में चुंगी पहले की ही तरह वसूला जाएगा। इसकेसाथ ही पाटिल ने रियल एस्टेट सेक्टर के लिए भी कई कदम उठाए हैं। इसकेतहत स्टांप शुल्क में छूट प्राप्ति की अवधि को तीन साल से घटाकर एक साल कर दिया गया है।
दरअसल, अभी तक फ्लैट छोड़ने पर तीन साल तक स्टांप शुल्क को रोक कर रखा जाता था, लेकिन अब इसे सालभर के अंदर जारी करना होगा। इसके साथ ही फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) को मुंबई उपनगरों में एक से बढाकर 1.33 कर दिया गया है। हालांकि इसके अतिरिक्त एफएसआई पर अलग से प्रीमियम का भुगतान करना होगा, लेकिन इसके बारे में बजट में खुलासा नहीं किया गया है।
इसके साथ ही प्रॉपर्टी की कीमतों में स्थिरता लाने केमकसद से वित्त मंत्री ने रिहाइशी, औद्योगिक और व्यवसायिक क्षेत्रों के लिए लेवी वसूले जाने की घोषणा की है। यही नहीं, हाउसिंग सोसाइटियों की सहूलियत के लिए डीड को सुगम बनाने की भी बात कही है।
कम आय वाले लोगों के लिए दो साल के अंदर 10 लाख घर बनाने की बात कही गई है। विदर्भ और मराठवाड़ा इलाके के किसानों को राहत पहुंचाने की बात करते हुए जिन किसानों को से राहत नहीं मिली है, उन्हें भी राहत दी जाएगी।