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आर्थिक रफ्तार के लिए बढ़ सकता है पूंजीगत व्यय

Last Updated- December 12, 2022 | 10:01 AM IST

सरकार सुस्ती में फंसी अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए आगामी बजट में पूंजीगत व्यय पर विशेष जोर देगी ताकि मांग में सुधार लाकर आर्थिक वृद्घि को गति दी जा सके।
राजस्व संग्रह में सुधार आने, केंद्रीय योजनाओं तथा केंद्र प्रायोजित योजनाओं को युक्तिसंगत बनाने से 2021-22 में बुनियादी ढांचे पर अधिक परिव्यय और संपत्ति सृजन के लिए रास्ता तैयार होगा। इसके माध्यय से नौकरियों का सृजन होगा।
2020-21 की पहली छमाही में पूंजीगत व्यय में 27 फीसदी की गिरावट आने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बार बार कहा था कि सरकार राजकोषीय घाटे की चिंता किए बगैर खर्च बढ़ाने के लिए संकल्पित है।
उसी प्रतिबद्घता के अनुरूप पिछले वर्ष सालाना आधार पर अक्टूबर में पूंजीगत खर्च में 130 फीसदी और नवंबर में 249 फीसदी की वृद्घि की गई थी। पहले आठ महीनों में वृद्घि 13 फीसदी रही जबकि अक्टूबर तक 2 फीसदी की वृद्घि हुई थी। पूंजीगत व्यय का आर्थिक वृद्घि और विकास पर कई गुना सकारात्मक असर देखा गया है।     
केयर रेटिंग्स ने एक टिप्पणी में कहा, ‘आगामी बजट में पूंजीगत व्यय तीन व्यापक फोकस क्षेत्रों में से एक होगा। पूंजीगत खर्च पर जोर देते हुए हालिया प्रोत्साहन पैकेजों में सरकार ने कुछ विशेष घोषणाएं की। बुनियादी ढांचे से संबंधित गतिविधियों पर खर्च में स्पष्ट तौर पर वृद्घि की जा सकती है क्योंकि पूंजीगत व्यय बढऩे के कई सकारात्मक असर होते हैं और नौकरियों को बढ़ाने में मदद मिलती है।’    
दूसरी ओर राजस्व खर्च जिसमें निश्चित देयताएं या वेतन और पेंशनों जैसे चालू परिचालन खर्च शामिल होते हैं, में अप्रैल से नवंबर की अवधि में 3.6 फीसदी का इजाफा हुआ है।
कर राजस्व में भारी कमी आने के बावजूद वित्त मंत्रालय ने अक्टूबर में सड़क, रक्षा, बुनियादी ढांचा, जल आपूर्ति, शहरी विकास और घरेलू स्तर पर उत्पादित पूंजीगत उपकरणों के लिए अतिरिक्त 25,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया था। यह रकम पिछले वर्ष के बजट में आवंटित 4.13 लाख करोड़ रुपये के अलावा दी गई थी। अप्रैल से नवंबर की अवधि में चार खंड- रक्षा (30 फीसदी), सड़क (22 फीसदी), रेलवे (16 फीसदी) और खाद्य तथा लोक वितरण (5 फीसदी) को मिलाकर कुल पूंजीगत व्यय का 73 फीसदी बैठता है।
शुरू में संशय लग रहा है लेकिन अर्थशास्त्री अब इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि सरकार अपने बजट लक्ष्य को हासिल कर लेगी।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘तीसरी तिमाही को देखते हुए लगता है कि सरकार चालू वित्त वर्ष में पूंजीगत आवंटन का इस्तेमाल करने में काफी हद तक कामयाब रहेगी।’ उन्होंने कहा कि आगामी बजट में पूंजीगत व्यय आवंटन ज्यादा नहीं तो वित्त वर्ष 2021 के 4.38 लाख करोड़ रुपये से 10 फीसदी अधिक रह सकता है। इसे 10 फीसदी तक सीमित रहने की वजह यह हो सकती है कि सरकार को राजकोषीय घाटे को कम करने पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
पहली तिमाही में देशव्यापी लॉकडाउन लगाए जाने से राजकोषीय घाटा जुलाई में ही बजट लक्ष्य के पार चला गया था। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि राजकोषीय घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7 फीसदी और 9 फीसदी के बीच रह सकता है जबकि पहले 3.5 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया गया था।    
इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2022 में आर्थिक गतिविधि के सामान्य होने से कर संग्रह में स्वस्थ वृद्घि होगी जिससे पूंजीगत व्यय, स्वास्थ्य खर्च और टीका अभियान को चलाने के लिए काफी गुंजाइश मिलेगी।
नायर ने वित्त वर्ष 2022 में जीेडीपी के करीब 5 फीसदी राजकोषीय घाटे का अनुमान जताया है। केंद्र ने राज्यों को 12,000 करोड़ रुपये का 50 वर्ष तक ब्याज मुक्त ऋण मुहैया कराया है जिसे वे पूरी तरह से नई या चालू पूंजीगत परियोजनाओं पर खर्च कर सकते हैं। राज्य ठेकेदारों और आपूर्तिकर्ताओं के बिलों का भुगतान कर सकते हैं। लेकिन समूची रकम का भुगतान 31 मार्च से पहले करना होगा। 12,000 करोड़ रुपये में से 1,600 करोड़ पूर्वोत्तर के राज्यों को और 900 करोड़ रुपये उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश को दिया जाएगा। वहीं 7,500 करोड़ रुपये अन्य राज्यों को बांटे जाएंगे, 2,000 करोड़ रुपये विशिष्ट सुधार करने वाले राज्यों को दिए जाएंगे।
हालांकि अर्थशास्त्री मानते हैं कि यह पर्याप्त नहीं होगा और चालू वित्त वर्ष में राज्यों के पूंजीगत व्यय पर असर पड़ सकता है जो चौथी तिमाही में आर्थिक वृद्घि पर असर डाल सकता है।

First Published - January 11, 2021 | 12:17 AM IST

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