दिल्ली सरकार ने बुधवार वर्ष 2023—24 के लिए 78,800 करोड़ रुपये का अब तक का सबसे बड़ा बजट पेश किया था लेकिन दिल्ली के कारोबारियों को यह बजट रास नहीं आया क्योंकि बजट में कारोबारियों के लिए कोई खास घोषणा की नहीं की गई। कारोबारियों का कहना है कि पिछले बजट में कारोबारियों के लिए काफी घोषणाएं की गई थी।
बाजारों में इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार के लिए फंड न मिलने से निराश कारोबारी
दिल्ली व्यापार महासंघ के अध्यक्ष देवराज बवेजा कहते हैं कि इस बार दिल्ली सरकार के बजट में कारोबारियों के लिए अलग से कोई घोषणा नहीं की गई है। शायद ही ऐसा पहले कभी हुआ होगा कि दिल्ली सरकार के बजट में कारोबारियों के लिए राहत के प्रावधान न किए गए हों। बजट में भले ही इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए बड़ी धनराशि आवंटित की गई है। लेकिन दिल्ली के बाजारों का इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने के लिए अलग से कोई फंड नहीं दिया गया है। जबकि पहले के बजट में ऐसा होता रहा है।
G-20 को देखते हुए सरकार को कुछ मशहूर बाजारों जैसे चांदनी चौक, खान मार्केट, आइएनए आदि के लिए 500 से 700 करोड़ रुपये का फंड देना चाहिए था। चैंबर ऑफ ट्रेड ऐंड इंडस्टी के चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा कि बजट में बाजारों के लिए अलग से फंड भले न हो, लेकिन 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक के इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से बाजारों में भी विकास कार्य हो सकते हैं।
पिछले बजट के अधूरे वादों का भी जिक्र नहीं
कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि गत वर्ष दिल्ली के 5 बाजारों के नवीनीकरण तथा दिल्ली में एक ट्रेड फेयर लगाने का बड़ा वादा किया गया था। जिस पर कोई काम नहीं हुआ और इस वर्ष के बजट में उनके बारे में कुछ नहीं कहा गया। यह व्यापार के प्रति सरकार के उदासीन रवैये को दर्शाता है। डिजिटल व्यापार को देखते हुए दिल्ली में साइबर हब स्थापित करने की कोई योजना घोषित नहीं की गई है, जबकि दिल्ली का राजस्व पड़ोसी शहरों गुड़गांव और नोएडा में स्थानांतरित हो रहा है।
औद्योगिक क्षेत्रों की सूरत संवारने के लिए भी नहीं मिला फंड
अपेक्स चैंबर आफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री दिल्ली के उपाध्यक्ष रघुवंश अरोडा कहते हैं कि औद्योगिक क्षेत्रों में सड़क, बिजली, पानी, बागवानी आदि बुनियादी सेवाएं विकसित करने और मौजूदा सेवाओं की मरम्मत के लिए अलग से फंड की आवश्यकता है। बजट में इस फंड की घोषणा होने की उम्मीद थी। लेकिन ऐसा न होने से औद्योगिक क्षेत्रों के उद्योग निराश है। बजट में औद्योगिक क्षेत्रों के लिए कुछ भी प्रावधान नहीं किया गया है।