आम बजट में वित्त वर्ष 2026 के लिए पूंजीगत खर्च 11.2 लाख करोड़ रुपये आंका गया है जो पिछले वर्ष के संशोधित अनुमानों की तुलना में लगभग 10 फीसदी ज्यादा है। वित्त वर्ष 2025 के लिए बजटीय पूंजीगत खर्च 11.11 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 25 के लिए संशोधित अनुमानों के मुताबिक सरकार 10.18 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च की उम्मीद कर रही है जो लक्ष्य से करीब 93,000 करोड़ रुपये कम है। वित्त वर्ष 25 के बजट अनुमान के मुकाबले पूंजीगत खर्च के लिए आवंटन में वित्त वर्ष 26 में 1 फीसदी से भी कम का इजाफा हुआ है।
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बजट के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सार्वजनिक खर्च के तौर पर पूंजीगत व्यय में कोई कमी नहीं हुई है। हम पूंजीगत खर्च पर जोर देते रहे हैं, जिसे हमने बरकरार रखा है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में राज्यों को पूंजीगत खर्च के लिए और सुधारों के प्रोत्साहन के तौर पर 50 साल के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज देने की भी घोषणा की।
मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में पूंजीगत खर्च की रफ्तार पर चुनाव और आदर्श आचार संहिता के कारण असर पड़ा था। सीजीए के ताजा आंकड़ों में हालांकि दिसंबर 2024 में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले पूंजीगत खर्च में 95 फीसदी का इजाफा नजर आया है। आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 में अप्रैल-दिसंबर की अवधि में सरकार ने बजट अनुमान का 62 फीसदी इस्तेमाल किया जबकि पिछले साल की इसी अवधि में 67 फीसदी इस्तेमाल किया था।
जेएसडब्ल्यू समूह के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक सज्जन जिंदल ने कहा कि सरकार ने पूंजीगत खर्च पर जोर देना बरकरार रखा है। हालांकि 11.2 लाख करोड़ रुपये का खर्च पिछले रुझान के आधार पर 13 लाख करोड़ रुपये के खर्च की हमारी उम्मीद से कम है। लेकिन अभी भी पूंजीगत खर्च मजबूत स्तर पर है और यह प्रमुख क्षेत्रों को मजबूती देगा।
सरकार ने वित्त वर्ष 24 के लिए पूंजीगत खर्च 37.5 फीसदी बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये किया था। खास तौर से कोरोना के बाद पूंजीगत खर्च पर जोर न सिर्फ बुनियादी ढांचा बनाने और अर्थव्यवस्था में इसके कई असर के लिए था बल्कि निजी क्षेत्र के निवेश के लिए भी था।