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Budget 2024: मोदी 3.0 बजट में दिखेगा आर्थिक विकास का विजन, न कि प्रोत्साहन; Goldman Sachs ने दिया बयान

Goldman Sachs ने कहा कि आने वाला बजट fiscal consolidation के रास्ते पर चलने वाला होगा। यह मामूली प्रोत्साहन उपायों के बजाय व्यापक आर्थिक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित रहेगा।

Last Updated- July 08, 2024 | 1:09 PM IST
Economic vision and not stimulus in Modi 3.0 budget: Goldman Sachs Budget 2024: मोदी 3.0 बजट में दिखेगा आर्थिक विकास का विजन, न कि प्रोत्साहन; गोल्डमैन सैक्स ने दिया बयान

Modi 3.0 budget: भारत में बजट का इंतजार करीब-करीब खत्म होने वाला है। महज दो सप्ताह में (23 जुलाई को) भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में पूर्ण बजट पेश करने जा रही हैं। इस बीच, ग्लोबल इंवेस्टमेंट बैंकिंग फर्म गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) का बयान जारी हुआ है। फर्म के एनालिस्ट्स ने हालिया नोट में कहा कि आने वाला बजट राजकोषीय मजबूती (fiscal consolidation) के रास्ते पर चलने वाला होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का मोदी 3.0 बजट मामूली प्रोत्साहन उपायों के बजाय व्यापक आर्थिक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित रहेगा।

गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि सार्वजनिक कर्ज की अधिकता को देखते हुए, अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए सीमित राजकोषीय धन है। इसके अलावा, भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड ने लॉन्ग टर्म पॉजिटिव ग्रोथ को बढ़ावा दिया है, जिसे नीति निर्माता छोड़ना नहीं चाहेंगे।

गोल्डमैन सैक्स के एशिया-प्रशांत क्षेत्र के प्रमुख अर्थशास्त्री और इमर्जिंग मार्केट इकनॉमिक रिसर्च के हेड- एंड्रयू टिल्टन, सांतनु सेनगुप्ता और अर्जुन वर्मा ने एक साझा नोट में कहा है, ‘सरकार अगले कई वर्षों में दीर्घकालिक आर्थिक नीति (long-term economic policy) विजन के बारे में बड़ा बयान देने के लिए बजट का उपयोग करेगी, न कि छोटे प्रोत्साहन घोषणाओं के लिए। ये सरकार की 2047 के विकास एजेंडे के साथ जुड़ी होने की संभावना है (जो भारतीय स्वतंत्रता की सौ साल पूरे होने के साथ मेल खाता है)।’

Goldman Sachs का मानना है कि सरकार वित्त वर्ष 2025 (FY25) के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 5.1 प्रतिशत (या उससे भी कम) का राजकोषीय घाटा लक्ष्य (fiscal deficit target) बनाए रखेगी और वित्त वर्ष 2026 तक GDP का 4.5 प्रतिशत से कम के घाटे की घोषणा करेगी।

उन्होंने कहा, ‘भले ही हम कल्याणकारी योजनाओं के लिए कुछ खर्च का आवंटन देखते हैं, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से उम्मीद से अधिक डिविडेंड ट्रांसफर के होने से पूंजीगत खर्च (कैपेक्स) में कटौती की जरूरत नहीं हो सकती है। अगर सरकार हमारे आधार पर इनकम टैक्स पॉलिसी में बदलाव करना चुनती है काल्पनिक परिदृश्यों के आकलन से, सरकार का राजस्व घाटा GDP का लगभग 5-15 बेसिस पॉइंट होने की संभावना है, जबकि राजकोषीय खर्च (fiscal impulse) में वित्त वर्ष 2025 में 2-7 बेसिस पॉइंट के आसपास रहेगा।”

श्रम द्वारा मैन्युफैक्चरिंग के माध्यम से रोजगार सृजन, MSMEके लिए लोन, GCC का विस्तार करके सेवाओं के निर्यात पर लगातार फोकस, और कीमत अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए घरेलू खाद्य आपूर्ति श्रृंखला (domestic food supply chain) और इन्वेंटरी मैनेजमेंट पर जोर, कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर निर्मला सीतारमण का मोदी 3.0 बजट ध्यान केंद्रित करने की संभावना है।

गठबंधन की मांगें

गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि बजट भारत में पब्लिक फाइनेंस के भविष्य के लिए एक रास्ता भी निर्धारित करेगा, जिसमें सार्वजनिक ऋण स्थिरता (public debt sustainability) और ग्रीन फाइनेंस के लिए एक रोडमैप शामिल होगा।

पिछले दस वर्षों में यह पहली बार है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) लोकसभा में अपने बलबूते पर बहुमत के बिना सरकार चला रही है। गोल्डमैन सैक्स के एनालिस्ट्स का कहना है कि कम राजनीतिक जनादेश को देखते हुए, भूमि सुधार और कृषि क्षेत्र सुधार जैसे संरचनात्मक सुधारों को पारित करने के लिए अधिक राजनीतिक पूंजी (political capital) खर्च करना होगा।

गोल्डमैन सैक्स ने कहा, गठबंधन के साझेदार आंध्र प्रदेश और बिहार, केंद्र से कोई सहायता प्राप्त होने पर अपने कर्ज के बोझ को कम करने का लक्ष्य भी रख सकते हैं, जो क्रमशः राज्य GDP का 33 प्रतिशत / 36 प्रतिशत (वित्त वर्ष 2024 BE के अनुसार) है।

नोट में कहा गया, ‘हमारी दृष्टि में, केंद्र से आवंटन बड़ा नहीं हो सकता है क्योंकि राज्यों को राष्ट्रीय GDP का 0.1 प्रतिशत का एक काल्पनिक ट्रांसफर स्वयं बिहार / आंध्र प्रदेश के लिए राज्य GDP को 3 प्रतिशत / 2 प्रतिशत बढ़ावा देगा।’

First Published - July 8, 2024 | 1:09 PM IST

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