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Budget 2024: कंपनी रोजगार देंगी, सरकार सहारा; वित्त सचिव ने Interview में की बजट पर विस्तार से चर्चा

'हमने महसूस किया है कि कौशल ऐसा क्षेत्र है, जिसे सरकार अकेले आगे नहीं बढ़ा सकती। इसलिए निजी क्षेत्र की भागीदारी या साफ तौर पर कहें तो उद्योग की भागीदारी काफी महत्त्वपूर्ण है।'

Union Budget 2024: वित्त सचिव टीवी सोमनाथन ने रुचिका चित्रवंशी, श्रीमी चौधरी और असित रंजन मिश्र से रोजगार, कौशल और राज्यों के स्तर पर सुधारों के लिए आम बजट में किए गए उपायों पर विस्तार से चर्चा की। मुख्य अंश:

बजट योजनाओं के जरिये इस साल और अगले कुछ साल में कितना रोजगार आ सकता है?

अर्थव्यवस्था में नौकरियों का सृजन विभिन्न आर्थिक प्रक्रियाओं के जरिये होगा केवल सरकारी योजनाओं से नहीं। मगर क्या सरकारी प्रोत्साहन उनमें तेजी लाने का काम करेंगे? मुझे लगता है, जरूर करेंगे। उद्योग हमेशा कहता रहा है कि अगर उसे राजकोषीय प्रोत्साहन दिया जाएगा तो वह ज्यादा खर्च करेगा।

उसी दलील के हिसाब से हम कह सकते हैं कि अगर उद्योग और नियोक्ताओं को रोजगार के लिए प्रोत्साहन मिलेगा तो वे ज्यादा लोगों को काम देंगे। हमें पता है कि कई कंपनियों का कहना है कि उन्हें योग्य लोग नहीं मिलते। हमने महसूस किया है कि कौशल ऐसा क्षेत्र है, जिसे सरकार अकेले आगे नहीं बढ़ा सकती। इसलिए निजी क्षेत्र की भागीदारी या साफ तौर पर कहें तो उद्योग की भागीदारी काफी महत्त्वपूर्ण है।

यह भागीदारी आप कैसे पक्की करेंगे?

इंटर्नशिप कार्यक्रम स्वैच्छिक है। यह केवल उन कंपनियों के लिए है जिन्हें कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) करना है। हम उम्मीद नहीं करते हैं कि कंपनियां अपनी कमाई का कोई भी हिस्सा इस योजना पर खर्च करेंगी।

इंटर्नशिप पर होने वाले खर्च का बड़ा हिस्सा सरकार ही उठाएगी, जो उन्हें मिलने वाले वजीफे का 90 फीसदी तक है। साल 2022 में भारत में सीएसआर के तहत कुल व्यय 26,000 करोड़ रुपये था। इसका आधा हिस्सा शीर्ष 100 शीर्ष कंपनियों से आता है। दो-तिहाई से अधिक रकम शीर्ष 500 कंपनियों से आती है। हम केवल उन कंपनियों से उम्मीद कर रहे हैं, जिन्हें कंपनी अधिनियम के तहत सीएसआर करना आवश्यक है।

क्या रोजगार प्रोत्साहन योजनाएं कारगर रही हैं?

हां, कारगर रही हैं। इन्हें सफल योजनाओं में से गिना जाता है। महामारी में भी ऐसी योजनाएं काफी हद तक सफल रही थीं।

शिकायतें हैं कि उनमें कम समय के लिए भर्तियां हुई थीं..

यह काम कर्मचारी प्रदान करने वाली एजेंसियों ने ही ज्यादा किया था। हम फर्जीवाड़ा रोकने के लिए कुछ करेंगे। हम रीइंबर्समेंट अगले वित्त वर्ष की शुरुआत यानी 1 अप्रैल को देने जा रहे हैं। इससे फर्जी नियोक्ता चले जाएंगे।

इंटर्नशिप के लिए कौन पात्र होंगे?

आईआईएम, आईआईटी, सीएमए आदि संस्थानों के लोग इस इंटर्निशप का लाभ नहीं ले पाएंगे। सरकार उन लोगों की फेहरिस्त जारी करेगी, जिन्हें रोजगार मिलने की उम्मीद या पात्रता कम है। शीर्ष 500 कंपनियां यह मानकर केवल हुनर देंगी कि उनके बाद की दो-ढाई हजार कंपनियां हुनरमंद लोगों को काम देंगी।

सुधार से जुड़े ब्याज मुक्त कर्ज पाने के लिए राज्यों को किस तरह की शर्तें पूरी करनी होंगी?

इनमें एक पर्यटन और दूसरा औद्योगिक भूमि के बेहतर इस्तेमाल से जुड़ा है। इसके लिए औद्योगिक नियोजन नियमों में बदलाव करने होंगे ताकि औद्योगिक भूखंडों का अधिक से अधिक इस्तेमाल हो पाए। कृषि ऋणों और शहरी भूमि के लेखा-जोखा पर कुछ शर्ते लागू हैं।

क्या मौद्रिक नीति खाद्य के अलावा अन्य वस्तुओं पर आधारित होनी चाहिए?

यह बड़ा दिलचस्प सुझाव है। यह सवाल अक्सर उठता है कि खाद्य मुद्रास्फीति नियंत्रित करने में मौद्रिक नीति कितनी प्रभावी है। इस सुझाव पर हमने अभी कुछ नहीं किया है। फिलहाल इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

विनिवेश पर क्या बदल गया सरकार का रुख?

मैं कहूंगा कि हम विनिवेश के बजाय मूल्यवर्द्धन पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।

First Published : July 24, 2024 | 11:33 PM IST