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बजट पर सरकार और विपक्ष में तकरार; वॉकआउट के बाद INDIA के सहयोगी दलों ने संसद परिसर में किया प्रदर्शन

Budget 2024: लोक सभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा, 'केंद्रीय बजट भारत के संघीय ढांचे की पवित्रता पर चोट करने वाला है।'

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अर्चिस मोहन   
Last Updated- July 24, 2024 | 10:23 PM IST

बजट पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तकरार जारी है। विपक्ष जहां बजट को भेदभावपूर्ण बताते हुए कई राज्यों की उपेक्षा का आरोप लगा रहा है, वहीं सरकार इससे इनकार कर रही है। यह मुद्दा बुधवार को संसद के अंदर और बाहर छाया रहा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के बिहार एवं आंध्र प्रदेश को छोड़ अन्य राज्यों की उपेक्षा संबंधी आरोपों को अपमानजनक बताया।

एक दिन पहले पश्चिम बंगाल को बजट में नजरअंदाज किए जाने का आरोप लगाने वाली राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि बंगाल सरकार केंद्र द्वारा दी गई योजनाओं को लागू करने में नाकाम रही है।

विपक्ष शासित राज्यों के साथ बजट में उपेक्षापूर्ण व्यवहार का आरोप लगाते हुए बुधवार सुबह विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया। लोक सभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘केंद्रीय बजट भारत के संघीय ढांचे की पवित्रता पर चोट करने वाला है।’

विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, अखिलेश यादव और कई अन्य नेताओं ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया। बजट के विरोध में कांग्रेस ने फैसला लिया है कि उसके मुख्यमंत्री 27 जुलाई को होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे। कांग्रेस शासित तेलंगाना के मुख्यमंत्री आर रेवंत रेड्डी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि वे नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होंगे।

बाद में जब दोनों सदनों की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्षी इंडिया गठबंधन के सांसदों ने बजट में भेदभाव का आरोप लगाते हुए वॉकआउट किया। राज्य सभा में विपक्ष के वॉकआउट से पहले अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने नियम 267 के तहत दिये गए नोटिस को खारिज कर दिया, जिनमें इस मुद्दे पर चर्चा के लिए अन्य सूचीबद्ध मुद्दों को रद्द करने की बात कही गई थी।

सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा नियम 267 के तहत दिए गए नोटिस खारिज करने के बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने बजट का जिक्र करते हुए कहा, ‘बजट में केवल दो राज्यों बिहार और आंध्र प्रदेश को योजनाएं और फंड का प्रावधान किया गया है। इंडिया गठबंधन इस भेदभाव वाले बजट की निंदा करता है। धनखड़ ने जहां सीतारमण को अपनी बात रखने की इजाजत दी, खरगे के नेतृत्व में पूरा विपक्ष वॉकआउट कर गया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि उन्होंने फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट में कई राज्यों का नाम नहीं लिया था और मंगलवार को लाए गए पूर्ण बजट में भी ऐसा ही किया, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सरकारी योजनाएं इस राज्यों में लागू नहीं होंगी। महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि बजट में इस राज्य का भी जिक्र नहीं किया गया, लेकिन केंद्रीय कैबिनेट ने इसके लिए दहानू में प्रस्तावित 76,000 करोड़ रुपये की वधावन पोर्ट परियोजना को पिछले महीने ही मंजूरी दी।

उन्होंने कहा, ‘बजट भाषण में जिन राज्यों का जिक्र नहीं किया गया, इसका मतलब यह नहीं है कि केंद्रीय कार्यक्रमों और विश्व बैंक, एडीबी, एआईआईबी आदि से मिलने वाली वित्तीय मदद में उनका हिस्सा नहीं होगा। ये सभी कार्यक्रम पहले की तरह चलते रहेंगे।’

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष जानबूझ कर यह भ्रम फैला रहा है कि बजट में सब कुछ केवल राज्यों को दे दिया गया और विपक्ष शासित प्रदेशों को कुछ नहीं दिया गया।’ उन्होंने कहा, ‘मैं कांग्रेस को चुनौती देती हूं कि वह साबित करे कि उसके शासन काल के दौरान पेश किसी भी बजट में सभी राज्यों का नाम लिया गया। यह आरोप बहुत अपमानजनक है। यह बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है।’

लोक सभा में कांग्रेस की कुमारी शैलजा ने बजट पर चर्चा की शुरुआत की जबकि पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने राज्य सभा में इस मुद्दे पर बहस का आगाज किया। उन्होंने तंज के लहजे में वित्त मंत्री का यह कहकर स्वागत किया कि उन्होंने कांग्रेस के घोषणा पत्र से कुछ विचार उठाए हैं। जैसे उनकी पार्टी के घोषणा पत्र में ऐंजल टैक्स हटाने एवं रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (ईएलआई) लाने की बात कही गई है।

पी. चिदंबरम ने सवाल किया कि क्या ईएलआई योजना इसलिए लाई गई है, क्योंकि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना अपने उद्देश्य अर्थात नौकरियां पैदा करने में बुरी तरह विफल रही हैं।

उन्होंने कई घटनाओं के उदाहरण दिए जिनमें थोड़ी सी रिक्तियों पर भर्ती के लिए हजारों युवा पहुंच गए। इसके बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक कहता है कि कहीं भी नौकरी का संकट नहीं है।

आरबीआई से उम्मीद की जाती है कि वह अतिरिक्त सतर्कता बरते और तटस्थ बना रहे, लेकिन वह इस मोर्चे पर विफल रहा है। वह सब कुछ है, लेकिन तटस्थ नहीं है।

कांग्रेस नेता ने वित्त मंत्री की यह कहकर भी आलोचना की कि उन्होंने बजट भाषण में महंगाई के मुद्दे का केवल 10 बार ही जिक्र कर निपटा दिया। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई दर बहुत ऊंची है। महंगाई के आंकड़े अमूमन शहरों और राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य एवं जिला स्तरीय सड़कों से सटे कस्बों-गांवों से एकत्र किए जाते हैं।

उन्होंने आर्थिक समीक्षा में मुख्य आर्थिक सलाहकार के उस बयान पर भी सवाल खड़ा किया जिसमें कहा गया था कि देश में महंगाई दर लगातार कम है और यह स्थिर बनी हुई है। साथ ही यह 4 प्रतिशत के लक्ष्य की ओर जा रही है।

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘पिछले चार साल से ऐसा ही कहा जा रहा है। आखिर यह कब तक 4 प्रतिशत के स्तर पर आएगी।’ उन्होंने तर्क दिया कि यदि महंगाई दर कम, स्थिर है और 4 प्रतिशत के लक्ष्य की तरफ जा रही है तो रिजर्व बैंक ने आखिर 2023 में तय की गई बैंक दर संशोधित क्यों नहीं की।

उन्होंने कहा कि बैंक दर यह देखने का सबसे अच्छा तरीका है कि महंगाई किस स्तर पर है। यदि महंगाई दर 4 प्रतिशत की तरफ मुड़ रही है तो फिर रिजर्व बैंक पिछले 13 महीनों से बैंक दरों को 6.5 प्रतिशत के स्तर पर क्यों बनाए हुए है। क्या वजह है कि मौद्रिक नीति समिति इन दरों को संशोधित करना नहीं चाहती।

First Published : July 24, 2024 | 10:23 PM IST