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किस रंग की गाड़ी सबसे ज्यादा भारत के लोगों को भाती? लाल, पीले, नीले सब छूट गए पीछे

Last Updated- February 27, 2023 | 10:20 PM IST

एक तरफ जहां भारत में कार कंपनियां रंग-बिरंगे वाहनों को पेश कर रही हैं वहीं भारत के अधिकतर लोग सफेद रंग की ही कार को खरीदना पसंद कर रहे हैं। ऐसे में कोई भी पूछ सकता है कि आखिर कार कंपनियां इतने रंगों की कारें क्यों ही लॉन्च कर रही हैं? क्या भारत के लोगों की पसंद इतनी कम हो गई है कि सिर्फ सफेद रंग तक ही सीमित हो गई है? अगर 2022 का आंकड़ा देखा जाए तो भारत में जहां गैर-सफेद रंग की कारों की बिक्री में मामूली वृद्धि हुई, सफेद सवारी के लिए देश का प्रेम संबंध बरकरार रहा। और यह सब तब हो रहा है जब भारत के लोग कई तरह की कारों का अनुभव करने और आनंद लेने में पीछे नहीं छूट रहे हैं। वास्तव में, पिछले साल कुल पैसेंजर वाहन (पीवी) की बिक्री का दो-पांचवां हिस्सा सफेद वाहनों का था।
2022 में भारत में बिकने वाली करीब 42.2 फीसदी कारें सफेद रंग की थीं। बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा समीक्षा की गई ऑटो कंसल्टेंसी फर्म JATO Dynamics के आंकड़ों के अनुसार, यह संख्या 2021 में थोड़ा अधिक, 43.9 फीसदी थी।

2021 की तुलना में 2022 में छह अन्य रंगों – काला, ग्रे, नीला, लाल, हरा और गोल्डेन – में कार की बिक्री में कुछ ही प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

मारुति सुजुकी इंडिया के वरिष्ठ CEO (marketing and sales) शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि गैर-सफेद रंग की कारों की बिक्री इसलिए बढ़ी है क्योंकि इसके लिए कम इंतजार करना पड़ता है।

इसके अलावा, स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) सेगमेंट के वाहनों की बिक्री में सबसे अधिक तेजी देखने को मिल रही है। इस तरह के वाहन सुविधा से लैस, लग्जरी और पावरफुल होते हैं। शशांक ने कहा कि इस सेगमेंट में भी लोग अधिकतर डार्क कलर वाले मॉडल ही पसंद कर रहे हैं।

शशांक कहा कि ऐसा देखा गया है कि किसी भी बढ़ती अर्थव्यवस्था और एक मैच्योर कार बाजार में ग्रेस्केल रंगों की कारों को कम वरीयता दी जाती है। लोग व्यक्तिगत स्तर पर कारों को चुनना अधिक पसंद करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि भारत में अब ऐसा होना शुरू हो गया होगा। हालांकि, सफेद अभी भी टॉप पसंद में बरकरार है।

सफेद रंग को बनाए रखना आसान है, यह लंबे समय तक अन्य रंगों की तुलना में अपनी चमक नहीं खोता है और यह एक ऐसा रंग भी है जो परिवार के सदस्यों में भी कॉमन पसंद हो जाती है। इस रंग के वाहनों को रीसेल करने पर भी ज्यादा पैसा मिलता है। सुरक्षा के मामले में भी सफेद रंग के अलग ही फायदे हैं। यह रात में बेहतर सुरक्षा प्रदान करता है, गर्मी के मौसम में कम गर्मी को अवशोषित करता है, छोटी कारों को बड़ा दिखाता है और अशुभ नहीं माना जाता है।

उन्होंने कहा कि लंबे समय तक भारत में कुल कारों की बिक्री में सफेद, सिल्वर और ग्रे रंग की हिस्सेदारी 65-70 फीसदी रही है। एक समय सिल्वर कारों की खरीदारी बहुत आम थी। और घूम-घुमाकर 65-70 फीसदी बिक्री इन्हीं तीन रंगों की कारों की हुई है। अगर देखा जाए तो पिछले तीन दशकों में, कार के रंग की प्राथमिकताएं सफेद, सिल्वर और ग्रे रही हैं।

पैसेंजरक वाहन ने 2022 में अपनी सबसे अधिक बिक्री 38 लाख यूनिट देखी, जो 2018 के पिछले रिकॉर्ड हाई से लगभग 430,000 यूनिट अधिक है।

Hyundai Motor Company ने कहा कि ग्राहक कई कारणों से सफेद रंग की कार पसंद करते हैं, जैसे रखरखाव में आसानी, गर्मियों में गहरे रंगों की तुलना में कम गर्मी का अवशोषण। इसके अलावा अन्य फायदों में यह भी है कि सफेद रंग की कारों में खरोंच और धूल भी छिपाई जा सकती है। कंपनी ने कहा कि उसके ग्राहकों के बीच सफेद रंग को प्राथमिकता 2021 में 52 फीसदी थी जो 2022 में बढ़कर 55 फीसदी हो गई।

इसके अलावा, सफेद रंग लोकप्रियता को बनाए रखने के लिए सबसे आसान रंगों में से एक है क्योंकि यह फ्लीट और किराये के वाहनों के लिए एक सामान्य रंग है। सेकेंड हैंड कारों के बाजार में भी सफेद रंग प्रचलित है।

Tata Motors Passenger Vehicles के वाइस प्रेसिडेंट मोहन सावरकर ने कहा कि 2022-23 में, टाटा मोटर्स के लिए सफेद कारों की बिक्री 36 फीसदी थी। कंपनी के शोध के अनुसार, ग्राहकों द्वारा कार के रंग के रूप में सफेद रंग का प्रभुत्व इसलिए है क्योंकि यह एक निष्पक्ष रंग है (सभी जेंडर के लोग इसे समान रूप से पसंद करते हैं) और बाजार में रीसेल भी अधिक मूल्य पर होती है।

First Published - February 25, 2023 | 5:48 PM IST

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