कंपनियों की कमाई नरम रहने, रोजगार बाजार में गिरावट, वैश्विक अनिश्चितता और कर्ज के लिए सख्त नियमों से फरवरी में वाहनों की खुदरा बिक्री में गिरावट आई है। इस साल फरवरी में यात्री वाहनों की बिक्री पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 10 फीसदी घट गई और दोपहिया की बिक्री में भी 6 फीसदी की गिरावट आई है।
शेयर बाजार में लगातार गिरावट से निवेशकों की संपत्ति 44 लाख करोड़ रुपये घट गई है और ऐसा लगता है कि वाहनों की खुदरा बिक्री पर भी इसका असर पड़ा है। वाहन डीलरों के संगठन फाडा के आंकड़ों के अनुसार फरवरी में वाहनों की कुल खुदरा बिक्री 7 फीसदी घटी है। व्यावसायिक वाहनों की बिक्री में 9 फीसदी, ट्रैक्टरों की बिक्री में 15 फीसदी और तिपहिया बिक्री में 2 फीसदी की गिरावट आई है।
जनवरी की तुलना में फरवरी में वाहनों की खुदरा बिक्री 17 फीसदी घटी है। जनवरी के मुकाबले फरवरी में यात्री वाहनों की बिक्री में 35 फीसदी, व्यावसायिक वाहनों में 17 फीसदी और दोपहिया की बिक्री में 11 फीसदी की गिरावट आई है। दूसरी ओर जनवरी में यात्री वाहनों की बिक्री 57 फीसदी और दोपहिया की बिक्री 27 फीसदी बढ़ी थी।
स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण घटकर 27 सितंबर, 2024 के 478 लाख करोड़ रुपये के उच्चतम स्तर से घटकर 398 लाख करोड़ रह गया है। कुल मिलाकर पिछले 5 महीनों में निवेशकों की संपत्ति 80 लाख करोड़ रुपये घटी है।
फाडा के अध्यक्ष सीएस विघ्नेश्वर ने कहा, ‘पिछले 5 महीनों से शेयर बाजार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है। इसकी वजह से लोगों के गैर-जरूरी खर्चे घट गए हैं और ग्राहक अपनी खरीदारी को टाल रहे हैं। लोग काफी सतर्क हो गए हैं और वाहनों, खास तौर पर दोपहिया और यात्री वाहनों की पूछताछ से लेकर उसे खरीदने में अब लंबा समय ले रहे हैं। इसके अलावा फाइनैंस की कम उपलब्धता भी एक समस्या है।’
फरवरी 2024 में यात्री वाहनों की बिक्री 12 फीसदी और दोपहिया की बिक्री 13 फीसदी बढ़ी थी। कुल मिलाकर पिछले साल वाहनों की खुदरा बिक्री 13 फीसदी बढ़कर 20.5 लाख वाहन रही थी। मगर इस साल फरवरी में वाहनों की बिक्री घटकर 18.9 लाख रह गई।
यात्री वाहन सेगमेंट में महिंद्र ऐंड महिंद्र पहली बार दूसरे स्थान पर पहुंची है। टोयोटा किर्लोस्कर मोटर की बिक्री 5 फीसदी बढ़ी है और महिंद्रा की बिक्री सपाट रही है, बाकी सभी प्रमुख कंपनियों की बिक्री में गिरावट आई है। मारुति सुजूकी की बिक्री 11 फीसदी घटी है और टाटा मोटर्स की बिक्री में 15 फीसदी तथा ह्युंडै की बिक्री में 17 फीसदी की गिरावट देखी गई। अनबिके वाहनों का स्टॉक 50 से 52 दिन तक पहुंच गई है जिसे लेकर डीलरों ने चिंता जताई है। डीलरों का आरोप है कि कार विनिर्माता उनकी सहमति के बिना स्टॉक बढ़ा रहे हैं।
विघ्नेश्वर ने कहा, ‘मूल उपकरण विनिर्माताओं को इससे बाजार में बढ़त मिल सकती है मगर थोक बिक्री को वास्तविक मांग के अनुरूप बनाना स्वस्थ डीलर व्यवहार्यता के लिए महत्त्वपूर्ण है। अनबिके वाहनों का स्टॉक वापस 21 दिन करना चाहिए। 30 दिन से अधिक का स्टॉक रखने से डीलरों को नुकसान होगा।’
उन्होंने कहा कि एंट्री-लेवल के वाहनों की कम बिक्री चिंता का कारण बना हुआ है। फाडा के अनुसार ग्रामीण अच्छी खेती और शादी-विवाह पर मांग के कारण ग्रामीण बाजारों में दोपहिया की बिक्री बेहतर री और फरवरी में ग्रामीण बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 58 फीसदी हो गई जो जनवरी में 56 फीसदी थी। व्यावसायिक वाहनों के मामले में डीलरों ने चुनौतीपूर्ण वाणिज्यिक माहौल की ओर इशारा किया, जिसमें परिवहन क्षेत्र में कमजोर बिक्री, फाइनैंसिंग के सख्त नियम और मूल्य निर्धारण दबाव के कारण ग्राहकों के निर्णय में देरी हो रही है।