ICICI लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, 77 प्रतिशत भारतीय पर्यावरण को स्वच्छ रखने और कम प्रदूषण फैलाने के लिए इलेक्ट्रिक गाड़ियां (EV) खरीद रहे हैं। लेकिन इलेक्ट्रिक गाड़ी चलाने वालों के लिए सबसे बड़ी चिंता है इनको चार्ज करने का समय।
यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बढ़ती लोकप्रियता गाड़ियों के इंश्योरेंस के पूरे सिस्टम को बदल रही है। इस रिपोर्ट में भारत के बड़े शहरों में रहने वाले 500 से ज्यादा इलेक्ट्रिक गाड़ी मालिकों का सर्वे किया गया। इस सर्वे से पता चला है कि लोग गाड़ियां बदलने की सोच क्यों रहे हैं और गाड़ियों के इंश्योरेंस में क्या नया हो रहा है।
इलेक्ट्रिक गाड़ियां (EV) पर्यावरण को स्वच्छ रखने और ईंधन के खर्च को कम करने के कारण लोकप्रिय हो रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार 77% इलेक्ट्रिक गाड़ी मालिकों ने बताया कि कम प्रदूषण फैलाना उनके लिए इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदने का सबसे बड़ा कारण है। यह खासकर युवा ड्राइवरों में देखा गया है। साथ ही 73% लोगों ने बताया कि पेट्रोल/डीजल के खर्च कम होने से उन्होंने इलेक्ट्रिक गाड़ी ली।
लेकिन अभी भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को पूरी तरह से अपनाने में कुछ परेशानियां हैं। 61% गाड़ी मालिकों को सबसे ज्यादा चिंता गाड़ी को चार्ज करने के समय की है। आधे से ज्यादा लोगों (54%) को यह चिंता है कि गाड़ी एक बार चार्ज करने पर कितनी दूर जा सकती है। इसी तरह 52% लोगों को लगता है कि चार्जिंग स्टेशन अभी कम हैं।
गाड़ी की ज्यादा कीमत भी एक चिंता है, खासकर पहली बार गाड़ी खरीदने वालों के लिए। मुंबई, चेन्नई और बैंगलोर में रहने वाले लोगों को चार्जिंग समय की ज्यादा चिंता है। वहीं दिल्ली और हैदराबाद में रहने वाले लोगों को गाड़ी की कम चलने की दूरी की चिंता ज्यादा है।
यह रिपोर्ट बताती है कि ज्यादातर लोगों (91%) को पता है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए अलग इंश्योरेंस होता है। खासकर कार मालिक यह अच्छी तरह से जानते हैं कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए अलग इंश्योरेंस होना जरूरी है। जब लोग इंश्योरेंस चुनते हैं तो उनकी दो मुख्य बातें ध्यान में रहती हैं: पहली, इंश्योरेंस कितना महंगा है और दूसरी, क्लेम कितनी आसानी से मिल जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर लोग चाहते हैं कि उनके इंश्योरेंस में 24 घंटे गाड़ी में किसी भी परेशानी के लिए मदद और बैटरी खराब होने पर उसे बदलने का खर्च भी शामिल हो।
दिलचस्प बात यह है कि सिर्फ 53% लोगों को ही पता है कि चार्जिंग स्टेशन के खराब होने का नुकसान भी उनके इंश्योरेंस में शामिल हो सकता है। इसका मतलब है कि इंश्योरेंस कंपनियों को इस बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी देने की जरूरत है।