टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज ने विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में 300,000 किलोमीटर से अधिक वास्तविक समय के वाहन डेटा के साथ अपने क्लाउड आधारित ऑटोनोमिक वाहन प्लेटफॉर्म को प्रशिक्षित और परीक्षण किया है। परीक्षण करने वाले भौगोलिक क्षेत्रों में अमेरिका, जापान, यूरोप और भारत शामिल है।
टीसीएस के इस क्लाउड प्रशिक्षण से मूल वाहन निर्माता कंपनी (ओईएम) को अगली पीढ़ी के वाहन को रोड पर उतारने में मजबूती मिलेगी। टाटा समूह के पास कई कंपनियां हैं। इनमें से कुछ इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम कर रही हैं, वहीं इसकी कुछ कंपनियां स्वचालित वाहन क्षेत्र में भी काम कर रही हैं, जिसमें टीसीएस के साथ टाटा मोटर्स (टाटा समूह के साथ करीब से काम करने वाली कंपनी ) और टाटा एलेक्सी शामिल है।
टीसीएस जापान, यूरोप और अमेरिका की कई अग्रणी वैश्विक कंपनियों के साथ इलेक्ट्रिक वाहन और स्वचालित वाहनों के लिए मिलकर काम कर रही है। भारत में यह घरेलू बाजार में स्वचालित फीचर के साथ इलेक्ट्रिक कार उतारने के लिए ओईएम कंपनियों को सहायता प्रदान कर रही है।
टीसीएस में हेड ऑटोमेटिव, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और डीई राजेंद्र चौगुले ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि टीसीएस के एल्गोरिदम को 300,000 किलोमीटर वास्तविक समय वाहन डेटा के साथ प्रशिक्षित और परीक्षण किया गया है।
चौगुले ने कहा, ‘ हमने कुछ हजार किलोमीटर तक ही भारत में परीक्षण किया है, परीक्षण और डेटा संग्रहण का अधिकतम कार्य अमेरिका, जापान और यूरोप में किया गया है।’
उन्होंने कहा कि कंपनी के अनुभव के आधार पर एक विशिष्ट लेवल 3 कार, जिसमें आप हैंड्स-फ्री ड्राइव कर सकते हैं, के परीक्षण के लिए प्रत्येक भौगोलिक क्षेत्र में 1 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने की आवश्यकता है। यह वर्तमान मानक है और बहुत महंगा है। लेकिन टीसीएस ने सिंथेटिक डेटा प्राप्त करने का एक तरीका विकसित किया है जिससे लागत कम हो जाती है।
इस प्रौद्योगिकी के माध्यम से टीसीएस वाहन के 100 किलोमीटर के डेटा का परीक्षण दिन में ही कर सकती थी। लेकिन, यह अब सिमुलेशन के माध्यम से रात के समय भी वाहन का वर्चुअल डेटा संग्रहण कर सकेगी और इसमें कीमत भी अपेक्षाकृत कम आएगी। चौगुले ने कहा कि भारत में स्वचालित कार के लिए परीक्षण लेवल प्लस 2 स्तर पर है। कुछ वाहन पहले से ही चल रहे हैं।