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लक्जरी कारों पर रुपये की मार, ऑटो कंपनियां जनवरी से बढ़ा सकती हैं कीमतें

अधिकांश लक्जरी कारें यूरोप से आयात की जाती हैं। इसमें पूरी तरह से नॉक-डाउन (सीकेडी) और स्थानीय संयंत्रों में असेंबल की जाने वाली और पूरी तरह से तैयार कारें (सीबीयू) शामिल हैं।

Last Updated- December 05, 2025 | 9:17 AM IST
Mercedes
Representational Image

भारत के वाहन उद्योग में महंगी और लक्जरी कारें रुपये के गिरावट के कारण दबाव से जूझ रही हैं। दरअसल, भारतीय मुद्रा का मूल्य अमेरिकी डॉलर और यूरो दोनों के मुकाबले घट रहा है। अधिकांश लक्जरी कारें यूरोप से आयात की जाती हैं। इसमें पूरी तरह से नॉक-डाउन (सीकेडी) और स्थानीय संयंत्रों में असेंबल की जाने वाली और पूरी तरह से तैयार कारें (सीबीयू) शामिल हैं। यूरो के मुकाबले रुपये में इस साल अब तक 15 प्रतिशत गिरावट के कारण लक्जरी मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) पर दबाव है।

कीमत में गिरावट के कारण मांग में तेजी!

बिज़नेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए मर्सिडीज बेंज के एमडी व सीईओ संतोष अय्यर ने कहा, ‘लक्जरी वाहनों की कीमत में गिरावट के कारण मांग में आई तेजी संभवतः आने वाली तिमाहियों में जारी न रहे, क्योंकि रुपये में गिरावट व अन्य वजहों से लक्जरी कारों की कीमत उनके मौजूदा स्तर से बढ़ेगी।’ अय्यर ने कहा कि कीमतों के समायोजन को लेकर दबाव होगा और कंपनी बढ़ती लागत के दबाव को कम करने के लिए जनवरी 2026 से अपने मॉडल रेंज के लिए मूल्य बढ़ाने पर विचार कर रही है।

एक अन्य जर्मन ओईएम ने भी पुष्टि की कि वह भी जनवरी से कीमतों में बढ़ोतरी करने पर विचार कर रहे हैं और बढ़ोतरी की मात्रा तय करने पर काम कर रहे हैं।

मर्सिडीज ने इस साल अब तक 3 बार कीमतें बढ़ाई

विदेशी मुद्रा विनिमय दर में उतार-चढ़ाव और इनपुट लागत में वृद्धि के कारण मर्सिडीज ने इस साल अब तक 3 बार कीमतें बढ़ाई हैं। उद्योग के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि निर्माताओं ने जीएसटी दर में कमी के लाभों को पूरी तरह से ग्राहकों तक पहुंचाया है। इसकी वजह से लागत का दबाव कम करने के लिए बहुत कम ताकत बची है। कुछ महीनों के लिए कीमतों में बढ़ोतरी को रोक दिया गया था, लेकिन अधिकांश ब्रांड 2026 की शुरुआत में मूल्य वृद्धि पर फैसला लेंगे।

95% सेमीकंडक्टर चिप्स महंगी कारों में

डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट के कारण मास मार्केट ओईएम भी प्रभावित हैं। कारों में लगने वाले लगभग 95 प्रतिशत सेमीकंडक्टर चिप्स (विशेष रूप से महंगी कारों में, जिनमें अधिक इलेक्ट्रॉनिक विशेषताएं होती हैं) ताइवान, चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से आयात किए जाते हैं। उद्योग के एक अंदरूनी सूत्र ने स्वीकार किया कि डॉलर मजबूत होने से मुनाफे पर बुरा असर पड़ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणा से पहले देखो और इंतजार करो की नीति अपनाई जा रही है।

उन्होंने कहा, ‘जनवरी में अधिकांश मास मार्केट ओईएम कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणा करेंगे।’ ऑटो ओईएम सामान्यतया माइक्रोकंट्रोलर्स (एमसीयू) और माइक्रो प्रॉसेसर्स, पॉवरप मैनेजमेंट इंटीग्रेटेड सर्किट्स (पीएमआईसी), मेमोरी ऐंड स्टोरेज सॉल्यूशंस, रेडियो ऐंड इंटरटेनमेंट चिप्स, पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स के अलावा अन्य सेंसर का आयात करते हैं।

First Published - December 5, 2025 | 9:17 AM IST

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