केंद्र सरकार को स्पष्ट नियामकीय जानकारियां देनी चाहिए ताकि वाहन कंपनियां उसी अनुसार निवेश और कार पेश करने की योजना बना सकें।
यह बात रेनो इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी वेंकटराम मामिलापल्ले ने मंगलवार को कही। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि रेनो अगले तीन वर्षों में भारत में पांच कारें उतारने की योजना बना रही है।
इनमें एक बी प्लस श्रेणी का स्पोर्ट यूटिलिटी वाहन (एसयूवी), सी श्रेणी के एसयूवी और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) शामिल हैं। साल 2022 की शुरुआत में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने घोषणा की थी कि भारत की कारों में 1 अक्टूबर, 2022 से छह एयरबैग होने चाहिए।
इसके बाद समयसीमा एक साल आगे बढ़ाकर 1 अक्टूबर, 2023 कर दी गई। हालांकि, इससे पहले ही सितंबर 2023 में केंद्र सरकार ने अपना फैसला पलटते हुए कहा कि कारों के लिए छह एयरबैग अनिवार्य करने का उसका इरादा नहीं है।
मामिलापल्ले ने कहा, ‘छह एयरबैग के साथ हमारी सभी श्रेणी की कारें तैयार हैं। इंजीनियरिंग काम पूरा हो चुका है। आपूर्तिकर्ता तैयारी कर रहे हैं। कारें बाजार में आने वाली हैं। प्रतिस्पर्धी कंपनियों में वे (एयरबैग) नहीं हो सकते हैं।
अब हम एक विकल्प के रूप में एयरबैग बनाकर यूटर्न ले रहे हैं मगर इंजीनियरिंग के हिसाब से यह लागत डूबने जैसा है।’ उन्होंने कहा, ‘हम फिर ऐसी स्थिति में नहीं जाना चाहते हैं। अगर सरकार नियामकीय पहलू के लिए कोई रास्ता बनाती है तो उसे मानना चाहिए।’
पिछले कुछ वर्षों में रेनो की घरेलू बिक्री गिरी है। साल 2022 में अप्रैल-नवंबर के दौरान कंपनी ने 57,787 गाड़ियां बेची थीं। साल 2023 की इसी अवधि में कंपनी की घरेलू बिक्री महज 31,320 गाड़ियों की रही।
मामिलापल्ले ने कहा कि भारत रेनो के लिए प्रमुख बाजारों में से एक है। साल 2023 में कंपनी ने रणनीतिक कारणों से आशानुरूप प्रदर्शन नहीं हो सका।