वर्ष 2024 में इंजीनियरिंग शोध और विकास (ईआरऐंडडी) कंपनियां अपनी सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा प्रतिस्पर्धियों से पीछे रही हैं। उन पर अमेरिकी चुनाव से जुड़ी अनिश्चितता, कई सेक्टर में कमजोर मांग और ग्राहकों के फैसले में देरी से दबाव पड़ा। इन कंपनियों पर दबाव और बढ़ सकता है। कारण कि जनवरी-मार्च तिमाही के उनके कमजोर प्रदर्शन तथा कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए अनुमान सुस्त रहने की आशंका जताई गई है।
इंजीनियरिंग आरऐंडडी कंपनियों के शेयर फरवरी के शुरू से अब तक औसतन 20 फीसदी से ज्यादा टूट चुके हैं। बीओबी कैपिटल मार्केट्स के गिरीश पई का कहना है कि वृद्धि न होने का जोखिम बढ़ रहा है। दलाल पथ पर आय में गिरावट का पूरी तरह से असर नहीं दिखा है। टैरिफ बढ़ोतरी (जिसमें जवाबी वृद्धि भी शामिल ) और अमेरिका में राजकोषीय तंगी के कारण 2026-27 (वित्त वर्ष 2027) में भी आय अनुमानों में और अधिक संशोधन हो सकते हैं।
अब सभी की नजरें जनवरी-मार्च तिमाही के आंकड़ों पर टिकी हैं। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (केआईई) को उम्मीद है कि टाटा एलेक्सी (टीईएलएक्स), टाटा टेक्नोलॉजीज (टीटीएल) और एलऐंडटी टेक्नोलॉजी सर्विसेज (एलटीटीएस) के ट्रांसपोर्टेशन वर्टिकल के राजस्व में भारी गिरावट आएगी। सायंट, टीटीएल और टाटा एलेक्सी में मासिक और सालाना, दोनों तरह से राजस्व में गिरावट की आशंका है। एलटीटीएस के विलय और अधिग्रहण संबंधित राजस्व में तेजी दर्ज किए जाने का अनुमान है जबकि केपीआईटी टेक्नोलॉजीज की वृद्धि में नरमी आ सकती है। कमजोर मांग और प्रमुख क्षेत्र की चिंताओं से मार्जिन पर दबाव पड़ सकता है और यह आमतौर पर मजबूत अप्रैल-जून तिमाही पर भारी पड़ सकता है। केआईई ने अपने कवरेज वाली सभी इंजीनियरिंग आरऐंडडी फर्मों पर ‘बिकवाली’ या ‘घटाएं’ की रेटिंग दी है।
ऐंटीक स्टॉक ब्रोकिंग के अनुसार सतर्क धारणा और अर्निंग डाउनग्रेड की वजह से इंजीनियरिंग आरऐंडडी दिग्गजों के लिए प्रीमियम (मिडकैप आईटी कंपनियों के मुकाबले) कम हो गया है। यह तीन साल के औसत 60 प्रतिशत से घटकर अब 15 प्रतिशत रह गया है और आगे भी कम हो सकता है। ब्रोकर इस क्षेत्र में रिटेल और निर्माण वर्टिकलों में ज्यादा जोखिम की आशंका जता रहे हैं। इन वर्टिकलों में ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक और केमिकल शामिल हैं जबकि अन्य सेगमेंट सुस्त ऑर्डर दर्ज कर सकते हैं।
ऑटोमोटिव सेगमेंट (जो पहले से ही तकनीकी बदलाव और कम मांग के कारण दबाव महसूस कर रहा है) अब नई चुनौतियों का सामना कर रहा है। उसे अमेरिका के 25 प्रतिशत टैरिफ और अन्य देशों के जवाबी कदमों के कारण ज्याद दबाव देखना पड़ सकता है। ये बदलाव आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर सकते हैं, लागत बढ़ा सकते हैं, पूंजीगत खर्च में विलंब कर सकते हैं और मात्रा में खासी गिरावट ला सकते हैं।
केआईई के विश्लेषक कवलजीत सलूजा ने अपनी ताजा रिपोर्ट में वाहन मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) के बीच आरऐंडडी खर्च को लेकर बढ़ती सतर्कता का जिक्र किया है क्योंकि नीतिगत जोखिम मांग से जुड़ी अनिश्चितता बढ़ाते हैं। कंपनियों का कहना है कि निवेश का ऊंचा दौर पीछे रह गया है और बड़े आपूर्तिकर्ता कैलेंडर वर्ष 2025 में बेहतर हालात की उम्मीद नहीं कर रहे हैं। उनका कहना है कि डॉनल्ड ट्रंप के शुल्कों से अल्पावधि में लागत कटौती के प्रयास तेज हो सकते हैं। केआईई को सौदे करने की रफ्तार में तुरंत सुधार की सीमित संभावना दिखती है जिससे वित्त वर्ष 2025 कती संभावनाओं पर भी दबाव पड़ सकता है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने इंजीनियरिंग आरऐंडडी कंपनियों के शेयरों की रेटिंग घटाई है। इसके लिए उसने वाहन क्षेत्र में बढ़ती चिंताओं को कारण बताया है। रुचि मुखीजा के नेतृत्व में विश्लेषकों का कहना है कि कमजोर मांग, चीनी ओईएम प्रतिस्पर्धा और टैरिफ के कारण त उत्पादन लागत में वृद्धि से इस क्षेत्र में दबाव बना हुआ है।
यदि मंदी जैसे हालात जारी रहते है तो वित्त वर्ष 2026-27 में राजस्व वृद्धि ऊंचे एक अंक तक गिर सकती है जो ऑटोमोटिव के पिछले तेजी वाले साइकल के दौरान 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के विपरीत है।