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लेखक : टी टी राम मोहन

आज का अखबार, लेख

हूतियों की चाल और लाल सागर से उठते सवाल

वर्ष 2023 में कई तरह के आश्चर्यजनक घटनाक्रम देखने को मिले जिनमें से ज्यादातर सुखद ही रहे। यूक्रेन में संघर्ष के बावजूद इस जंग ने रूस और नाटो (अमेरिका तथा यूरोपीय देशों का सैन्य गठबंधन) के बीच सीधे टकराव का रूप नहीं लिया। इसके अलावा अमेरिका की अर्थव्यवस्था भी मंदी की चपेट में नहीं आई। […]

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OpenAI: बोर्ड में खामी या सीईओ की सितारा हैसियत!

ओपनएआई के सीईओ को निकाले जाने और उनकी बहाली यह दर्शाती है कि व्यापक सामाजिक चिंताओं को हल करने के मामले में निजी क्षेत्र के बोर्ड की अपनी सीमाएं हैं। बता रहे हैं टीटी राममोहन कंपनी का बोर्ड एक मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) को निकाल देता है। प्रमुख निवेशक उसे बहाल करता है और फिर […]

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यूक्रेन से गाजा तक भूराजनीतिक चुनौती

यूक्रेन संकट से लेकर गाजा में छिड़ी लड़ाई तक भूराजनीतिक जोखिमों का जिक्र बार-बार सुनने को मिलता है। अनुभव बताते हैं कि दुनिया ने इन जोखिमों के साथ रहना सीख लिया है। बता रहे हैं टी टी राम मोहन फरवरी 2022 में यूक्रेन संकट की शुरुआत के बाद से ही ‘भूराजनीतिक जोखिम’ जैसा जुमला लगातार […]

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Basel III rules: बेसल-3 पूंजी मानक….क्या कभी सबक लेंगे बैंकर?

बैंकर बेसल-3 पूंजी मानकों (Basel III rules) का विरोध कर रहे हैं लेकिन वास्तव में ये मानक न केवल बैंकों के लिए बल्कि समग्र अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभदायक हैं। बता रहे हैं टीटी राम मोहन जेपी मॉर्गन चेज के मुख्य कार्याधिकारी जेमी डिमॉन उन गिनेचुने बैंकरों में से एक हैं जो नियामकों और कानून […]

आज का अखबार, लेख

Economy: भारत के समक्ष है धीमी वैश्विक वृद्धि का माहौल

बदलते वैश्विक परिदृश्य में जहां वृद्धि की संभावना धीमी पड़ी है, भारत के लिए सात फीसदी की अधिक की दर से वृद्धि हासिल करना चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। बता रहे हैं टीटी राम मोहन महामारी के बाद भारत के वृद्धि संबंधी परिदृश्य में सुधार हुआ है। देश में और विदेशों में भी यह भावना […]

आज का अखबार, लेख

Opinion: वंचित लोगों को अवसर देने का नायाब उदाहरण

जाति आधारित नामांकन पर अमेरिका के शीर्ष न्यायालय के आदेश के परिप्रेक्ष्य में नौकरी एवं शिक्षा दोनों में आरक्षण की भारतीय व्यवस्था महत्त्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करती है। बता रहे हैं टी टी राम मोहन अमेरिका के उच्चतम न्यायालय ने जून में बहुमत से निर्णय सुनाया कि विद्यालय जातिगत आधार पर दाखिला नहीं ले सकते हैं। […]

आज का अखबार, लेख

Opinion: एक अर्थशास्त्री की नजर से आर्थिक काल खंड

आरबीआई (RBI) के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन की पुस्तक इसका उदाहरण है कि अर्थशास्त्री जन नीतियों को बनाने और लोगों के जीवन को आकार देने में कितनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। बता रहे हैं टी टी राम मोहन क्या अर्थशास्त्री मायने रखते हैं? क्या वे सार्वजनिक नीतियों में अंतर पैदा कर सकते हैं? अर्थशास्त्री […]

आज का अखबार, लेख

RBI ने किया बैंक निदेशक मंडलों को आगाह

आरबीआई के संज्ञान में कई बार आया है कि बैंकों के निदेशक मंडल के सदस्य आंतरिक चर्चाओं के दौरान अपनी बात स्पष्ट ढंग से नहीं रख पाते हैं। बता रहे हैं टी टी राममोहन एक पांच सितारा होटल का सम्मेलन कक्ष खचाखच भरा है। कक्ष में निजी बैंक के निदेशक, चेयरमैन और मुख्य कार्याधिकारी सहित […]

आज का अखबार, लेख

सिलिकन वैली बैंक: विफलता के कारणों की विवेचना

सिलिकन वैली बैंक एवं इसकी नियंत्रक (होल्डिंग) कंपनी सिलिकन वैली बैंक फाइनैंशियल ग्रुप (एसवीबीएफजी) मार्च में धराशायी हो गए। इसके तुरंत बाद सिग्नेचर बैंक और कुछ समय के अंतराल के बाद ही फर्स्ट रिपब्लिक बैंक भी धराशायी हो गए। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि मझोले आकार के कुछ और बैंक भी कारोबारी रूप […]

आज का अखबार, लेख

जी 20 देशों के लिए आरबीआई के सबक

अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग व्यवस्था को अ​स्थिर करने के खतरे को जन्म देने वाला तूफान अब मंद पड़ गया है। परंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि हम राहत की सांस ले सकते हैं। मार्च में जिस तरह अचानक यह तूफान आया था उसी तरह दोबारा कभी भी आ सकता है। अमेरिका में बैंकिंग […]

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