न्यायमूर्ति वी एम कानाडे और न्यायमूर्ति एम एस सोनक की खंडपीठ ने हरे कृष्ण बिल्डर्स की याचिका पर यह टिप्पणी की। याचिका में यहां 90 वर्षीय पुरानी इमारत की खस्ता हालत का हवाला देेते हुए इसमें रहने वाले किराएदारों को हटाने की दिशा में कदम उठाने के लिए महाराष्ट्र आवास और क्षेत्र विकास प्राधिकरण :म्हाडा: के अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
याचिकाकर्ता ने इमारत के पुनर्निर्माण के लिए इसमें रहने वाले 70 प्रतिशत लोगों को मना लिया है लेकिन शेष 30 प्रतिशत किराएदार अब भी इमारत से जाने को तैयार नहीं है जबकि बिल्डर ने उन्हें वैकल्पिक स्थान पर रहने के लिए किराया देने का आश्वासन दिया है।
हालांकि बृहन्मुंबई नगर निगम :बीएमसी: और दमकल विभाग ने अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया है लेकिन म्हाडा का कहना है कि रहने के लिए वैकल्पिक स्थान मुहैया कराना बिल्डर की जिम्मेदारी है।
अदालत ने माना कि इमारत पूरी तरह से खस्ता हालत में है और यह कभी भी ढह सकती है।
खंडपीठ ने कहा, यह सभी जानते हैं कि पिछले एक साल में शहर में कई इमारतें ढही हैं जिनमें कई लोगों की जान गई है। निवासियों को हटाने का दोष एक दूसरे पर मंढने की कोशिश करने के बजाए म्हाडा अधिकारियों और नगर निगम को अधिक जिम्मेदाराना तरीके से व्यवहार करना चाहिए।
अदालत ने म्हाडा से जांच करने और दो सप्ताह में उचित आदेश देने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 नवंबर की तिथि तय की गई है।
भाषा