चौहान ने आज यहां मीडिया पर केन्दि्रत एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा, आजकल चाहे वह इलेक्ट्रानिक मीडिया हो अथवा प्रिंट, अधिकांश ऐसे लोगों के हाथों में हैं, जिनका पत्रकारिता से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्हांेने स्वतंत्रता संग्राम के दिनों से अब तक की पत्रकारिता को चार भागों में बांटते हुए कहा कि उन दिनों महात्मा गांधी और माखनलाल चतुर्वेदी जैसे लोगों ने अखबार निकाला, जिनमें आजादी का एक जज्बा था। दूसरा दौर, आजादी के बाद का था, जिसमें देश निर्माण की भावना थी। तीसरा दौर, आपातकाल के वक्त का था, जब अखबारों ने इसके प्रति अपना विरोध प्रकट करने के लिए संपादकीय कालम खाली छोड़ दिया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब हम चौथा दौर देख रहे हैं, जब अधिकांश मीडिया चाहे वे इलेक्ट्रानिक हों अथवा प्रिंट, व्यावसायिक घरानों द्वारा संचालित हैं और वह सिर्फ अपना मुनाफा देख रहे हैं।