अब जबकि बाजार नए वित्त वर्ष के लिहाज से तैयार हो रहा है तो सेंट्रम ब्रोकिंग के कार्यकारी निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी संदीप नायक ने पुनीत वाधवा को ईमेल पर बाजार के बारे में अपना नजरिया बताया। उन्होंने बताया कि कैसे ट्रंप के शुल्कों का पूरा असर अभी बाजारों में नहीं दिख रहा है और यह अगली तिमाही में ही यह स्पष्ट होगा कि किन सेक्टरों और देशों पर इसका असर हुआ है। मुख्य अंशः
वित्त वर्ष 2026 में भारतीय शेयर बाजार के प्रति आपका क्या नजरिया है?
भारतीय शेयर बाजार के लिए नजरिया रचनात्मक है। वित्त वर्ष 2026 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि करीब 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है और आम सहमति के अनुमानों के आधार पर कहों तो वित्त वर्ष 2026 में निफ्टी की आय में करीब 10 फीसदी वृद्धि होगी। निफ्टी का मूल्यांकन 20 गुना से नीचे है जो अपने दीर्घावधि औसत से थोड़ा ही कम है। मगर मुख्य स्तर पर बाजार उचित मूल्य वाला दिख रहा है। आने वाले साल में बेहतर प्रदर्शन के लिए दो दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण होंगे। पहला, भारती अर्थव्यवस्था के वृद्धि वाले क्षेत्रों में निचले स्तर वाले शेयरों का चयन और दूसरा, अस्थिरता और गिरावट के दौरों का फायदा उठाते हुए बुनियादी रूप से ऐसे मजबूत शेयरों को जोड़ना, जिनकी कीमतों में गिरावट का कंपनी के फंडामेंटल्स में कोई असर नहीं हुआ है।
घरेलू कारण काफी हद तक शामिल कर लिए गए हैं। मगर ट्रंप के शुल्कों का असर क्या होगा यह अभी साफ नहीं नजर आया है और इसका पूरा असर अगली तिमाही में ही पता चलेगा।
शुल्कों और जवाबी शुल्कों पर अमेरिकी राष्ट्रपति के रुख को देखते हुए यह कहना जल्दबाजी होगी कि सबसे बुरा दौर अब खत्म हो गया है। मगर ऐसे व्यवधान कुछ समय ही रहने की संभावना है और इन्हें इक्विटी पोर्टफोलियो को मजबूत करने के मौके के तौर पर भी देखा जा सकता है।
बाजारों को जोखिम वैश्विक घटनाओं से जोखिम ज्यादा है या स्थानीय कारणों से?
भारत की वृद्धि के नजरिये में सुधार हुआ है, जिसे वस्तु एवं सेवा कर संग्रह, ईंधन की खपत और पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स के आंकड़ों जैसे उच्च फ्रीक्वेंसी वाले संकेतकों से मदद मिली है और ये सब सकारात्मक हैं। लेकिन शुल्कों के कारण वैश्विक बाधाएं परेशानीदायक हैं। इस अनिश्चित नए सामान्य के साथ समायोजित होने तक बाजार में सावधानी बरती जानी चाहिए। लार्जकैप शेयरों में निवेश करना सुरक्षित दांव है। इक्विटी में उतार-चढ़ाव की संभावना है, ऐसे में बड़ा सवाल है कि कोई इस अस्थिरता का इस्तेमाल कैसे उन दमदार कंपनियों के शेयर को हासिल करने के लिए कर सकता है जिनके भाव बाजार के कमजोर माहौल के कारण गिरे हैं न कि उनकी कारोबारी संभावनाएं खराब होने से गिरे हैं।
आपके हिसाब से खुदरा और संस्थागत निवेशक अगले वर्ष में किन सेक्टरों और शेयरों पर ध्यान देंगे?
वैश्विक अनिश्चितताओं से अछूते रहे घरेलू उपभोग को अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए। बजट में आमलोगों को कर राहत उपायों के कारण स्टेपल और एफएमसीजी कंपनियों के शेयरों को अगले साल या उसके आगे मांग बढ़ने का फायदा मिलने की उम्मीद है और यह गति वित्त वर्ष 2026-27 में भी बरकरार रह सकती है।
अगले दो वर्षों के लिए 6.5 फीसदी की अनुमानित वृद्धि और एक बढ़ती अर्थव्यवस्था में मजबूत ऋण वृद्धि की पृष्ठभूमि में वित्तीय क्षेत्र आकर्षक दिख रहा है। वित्त वर्ष 26 में ब्याज दरों में गिरावट की उम्मीद है। कम दर बैंकों के शुद्ध ब्याज मार्जिन को प्रभावित करेगी, विशेष रूप से उन बैंकों के जिनके पास फिक्स्ड दर वाले ऋणों का अनुपात कम है। भारत का स्वास्थ्य देखभाल सेक्टर भी अच्छा है।