मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट ने मंगलवार को कहा कि 2025 में दक्षिण पश्चिम मॉनसून ‘सामान्य’ रह सकता है। उसने मॉनसून के दीर्घावधि के औसत यानी एलपीए के 103 फीसदी रहने का भी अनुमान जताया। इसके पांच फीसदी ऊपर या नीचे रहने की गुंजाइश रखी गई है।
स्काईमेट के अनुसार जून से सितंबर तक के मॉनसून का एलपीए 868.6 मिलीमीटर रह सकता है और 96 से 104 एलपीए को सामान्य माना जाता है। अगर वास्तविक वर्षा पूर्वानुमान से मेल खाती है तो इसका अर्थ यह होगा कि देश के कृषि क्षेत्र के लिए अच्छी खबर रहने वाली है और सरकार को भी वित्त वर्ष 26 में खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी।
सरकारी संस्था भारत मौसम विभाग यानी आईएमडी 2025 के मॉनसून को लेकर अपने पहले आधिकारिक पूर्वानुमान कुछ दिन में जारी करेगी।
2025 के मॉनसून को लेकर पहले आधिकारिक अनुमान पेश करते हुए स्काईमेट के प्रबंध निदेशक जतिन सिंह ने कहा कि इस वर्ष अल नीनो की संभावना नहीं है। अल नीनो प्रभाव अक्सर भारतीय मॉनसून को प्रभावित करता है। सिंह ने कहा कि ला नीना की उपस्थिति और अल नीनो के प्रभावी न होने से मॉनसून के बेहतर रहने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, ‘ऐतिहासिक रूप से अल नीनो सदर्न ऑसिलेशन यानी ईएनएसओ निरपेक्षता तथा इंडियन ओशन डाईपोल से मॉनसून के बेहतर रहने की उम्मीद है। मॉनसून के मौसम का उत्तरार्द्ध, उसके पूर्वाद्ध से बेहतर रह सकता है।’
स्काईमेट का मानना है कि ईएनएसओ और इंडियन ओशन डाईपोल में तालमेल रहेगा और ये 2025 के दौरान मॉनसून को सुरक्षित रखेंगे। क्षेत्रवार आंकड़ों की बात करें तो स्काईमेट ने कहा कि उसे उम्मीद हेकि पश्चिम और दक्षिण भारत में मॉनसून बेहतर रह सकता है जबकि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के आधारभूत वर्षा निर्भर क्षेत्रों में भी पर्याप्त बारिश हो सकती है।