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AMFI के 30 साल: CEO बोले- अगले 20 साल में MF निवेशकों की संख्या तीन गुना होगी, उद्योग में बढ़ी पारदर्शिता

AMFI ने 30 वर्षों की उपलब्धियों के बाद म्यूचुअल फंड एयूएम को जीडीपी के 50% तक ले जाने और निवेशक आधार को तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।

Last Updated- August 20, 2025 | 7:05 AM IST
एम्फी के मुख्य कार्याधिकारी वेंकट नागेश्वर चलसानी

म्युचुअल फंडों (एमएफ) के बारे में जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाने वाली एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) ने इस महीने अपने 30 साल पूरे कर लिए हैं। एम्फी के मुख्य कार्याधिकारी वेंकट नागेश्वर चलसानी का मानना है कि इस उद्योग निकाय ने म्युचुअल फंडों को लोकप्रिय बनाने और एएमसी में पारदर्शिता और उच्च प्रशासनिक मानकों को सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई है। मुंबई में अभिषेक कुमार को दिए साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि इस उद्योग में वृद्धि के लिए अभी काफी कुछ किया जा सकता है। उनसे बातचीत के अंश:

तीन दशकों में एम्फी की प्रमुख उपलब्धियां क्या रही हैं?

इन वर्षों में म्युचुअल फंडों ने एक लंबा सफर तय किया है। एम्फी ने जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। साथ ही, हमने प्रणालियों, प्रक्रियाओं और जोखिम नियंत्रणों को मजबूत किया है। इस कारण विश्वास और पारदर्शिता अब उद्योग की पहचान बन गए हैं। निवेशक दैनिक या मासिक आधार पर शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी), उनका पैसा वास्तव में कहां निवेश किया गया है, क्या जोखिम हैं और कितना रिटर्न मिल रहा है, यह सब देख सकते हैं। साथ ही, हमने वितरकों और अपने सदस्यों दोनों के लिए मजबूत आचार संहिता लागू की है, जिससे व्यावसायिकता और जवाबदेही मजबूत करने में मदद मिली है।  

पिछले कुछ वर्षों में, एम्फी के स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) के रूप में विकसित होने की चर्चाएं होती रही हैं। क्या यह संभव है?

फिलहाल, हम एक व्यापारिक संगठन हैं। हालांकि वितरकों के संबंध में हम नियामकीय भूमिका निभाते हैं। हम उनके आचरण पर नजर रखते हैं, उत्पादों के विपणन के नियम तय करते हैं और गलत बिक्री के मामलों में सुधार के उपाय करते हैं, जिनमें जरूरत पड़ने पर जुर्माना लगाना भी शामिल है। एएमसी के मामले में हमारी भूमिका अलग है। हम एसआरओ की तरह सर्कुलर जारी नहीं करते। इसके बजाय, हम अच्छे दिशानिर्देश जारी करते हैं, जिससे पूरे उद्योग में समान मानक सुनिश्चित होते हैं। 

जैसे-जैसे उद्योग आगे बढ़ता है, आप सभी कंपनियों के हितों का प्रबंधन कैसे जारी रखेंगे?

एम्फी की ताकत उसकी मजबूत समिति संरचना में निहित है। हमारे पास विशेष समितियां हैं जो उद्योग की चुनौतियों, अवसरों, जोखिम नियंत्रणों और सुधार के क्षेत्रों पर विस्तार से विचार-विमर्श करती हैं। ये समितियां नियामक के साथ संवाद के लिए मंच का भी काम करती हैं, क्योंकि सेबी अक्सर एम्फी के माध्यम से उद्योग से परामर्श करता है। नई कंपनियों के लिए यह ढांचा अमूल्य है। इन समितियों में भाग लेकर वे मौजूदा प्रणालियों से लाभान्वित होते हैं और समान मानकों को आकार देने में योगदान देते हैं।

क्या आपको कोई कमी नजर आती है या कोई ऐसा क्षेत्र है जहां सुधार की गुंजाइश दिख रही है? 

हां, बिल्कुल। आज हमारे पास करीब 5.5 करोड़ निवेशक हैं और म्युचुअल फंडों की प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) देश के सकल घरेलू उत्पाद का केवल 20-22 प्रतिशत हैं। इसलिए पहुंच बढ़ाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। सबसे बड़ी चुनौती वित्तीय साक्षरता है। इस कमी को दूर करने के लिए पहल की जा रही है। 

अगले 20 साल में इस उद्योग की स्थिति कैसी होगी?

आज हमारी एयूएम जीडीपी की लगभग 22 प्रतिशत है। अगले 20 वर्षों में हमारा लक्ष्य इसे जीडीपी के कम से कम 50 प्रतिशत तक ले जाना है। हमें निवेशक संख्या भी तीन गुना होने की उम्मीद है। निकट भविष्य में अगले पांच वर्षों के अंदर हमारा लक्ष्य निवेशक आधार को दोगुना करना है। चूंकि भारत में 80 करोड़ से ज्यादा बैंकिंग ग्राहक हैं, इसलिए निवेशकों का संभावित समूह बहुत बड़ा है।

First Published - August 20, 2025 | 7:05 AM IST

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