भारत के आधारभूत परियोजना क्षेत्र में लोग अथाह मेहनत कर रहे हैं। यह टिप्पणी इस क्षेत्र के दिग्गजों ने इन्फोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति के पाली बढ़ाने के वक्तव्य के संदर्भ में दी है।
मूर्ति ने बीते हफ्ते ब्रोकरेज कंपनी जीरोधा के सह संस्थापक निखिल कामत के साथ बातचीत में कहा था, ‘आधारभूत उद्योग में लोग एक दिन में अनिवार्य रूप से तीन पालियों में काम करें।’
इस संदर्भ में आधारभूत संरचना के अधिकारियों ने बताया कि जहां संभव है, वहां ज्यादातर में पहले ही कई पालियों में कार्य किया जा रहा है। मुंबई मेट्रोपालिटिन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) के पूर्व आयुक्त आरए राजीव ने अपने कार्यकाल के दौरान मुंबई मेट्रो नेटवर्क प्रणाली के निर्माण की देखरेख की जिम्मेदारी संभाली थी।
उन्होंने कहा, ‘आधारभूत परियोजनाओं पर कार्य करने वाली एजेंसियां पहले ही बड़ी परियोजनाओं में दिन-रात काम कर रही हैं। एजेंसियां विभिन्न शहरों के नियमन के अनुसार काम कर रही हैं।’ एमएमआरडीए ने मुंबई मेट्रो के अलावा कुछ भूमिगत परियोजनाओं का भी निर्माण किया था।
उन्होंने बताया, ‘मुंबई मेट्रो परियोजनाओं के ज्यादातर गर्डर रात में डाले गए थे। इनमें ज्यादातर का ढांचा परियोजना स्थल के बाहर तैयार किया गया था और इन्हें यातायात के कारण रात को नहीं ढोया जा सकता था। लिहाजा दिन में ही काम किया जा सकता है।’ गर्डर धातुओं से बने होते हैं और इन्हें पुल बनाने के इस्तेमाल किया जाता है।
मूर्ति ने इस संदर्भ में यह टिप्पणी भी की थी, ‘एक पाली में सुबह 11 से शाम 5 बजे तक काम करना पर्याप्त नहीं है।’ इस पर राजीव ने कहा, ‘कई इंजीनियरिंग कंपनियों में स्टाफ 12 घंटे काम कर रहा है।’
प्रमुख सड़क निर्माण कंपनी के अधिकारी ने बताया, ‘ज्यादातर परियोजनाओं में दो पाली में काम किया जाता है। यदि प्रति व्यक्ति अधिक मानव घंटे में बदलाव नहीं किया जा रहा है तो शिफ्ट बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘व्यापक तौर पर तीन शिफ्ट में काम संभव है लेकिन यह सभी परियोजनाओं पर लागू नहीं होता है। इसके लिए सोच में बदलाव करने की जरूरत होगी। ऐसे में स्थानीय परिस्थितियां भी काम के अनुकूल होने की जरूरत है।’
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने आधारभूत ढांचे की प्रदर्शन रिपोर्ट सितंबर में जारी की थी। इसमें सड़क निर्माण की गति धीमा होने / पूरा नहीं होने के बारे में 10 कारण बताए गए थे। इसमें ठेकेदार के धीमा काम करने के अलावा अन्य कारण कानूनी मुकदमे, मंजूरी, उपयोगी वस्तुओं को स्थानांतरित करने, नकदी प्रवाह की कमी और अन्य कारक हैं।
उद्योग के अनुसार कम समय में परियोजना पूरी करने पर स्पष्ट रूप से प्रोत्साहन उपलब्ध है। जैसे नए इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण मॉडल में निश्चित अवधि, निश्चित समय और निश्चित लागत पर परियोजनाओं की निविदाएं दी जाती हैं।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण प्राधिकरण (NHAI) की हालिया सालाना रिपोर्ट में कहा गया है कि समय और लागत में वृद्धि को कम करने के लिए आइटम निर्माण अनुबंध से ईपीसी (एकमुश्त) अनुबंध में बदलाव किया जा रहा है।
आधारभूत संरचना निर्माण की कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘आमतौर पर सभी आधारभूत ढांचे की कंपनियां समझौते के लक्ष्य और समयसीमा को हासिल करने के लिए 24×7 काम कर रही हैं। सभी परियोजनाओं में आमतौर पर 24 महीने में काम करने की जरूरत होती है। लिहाजा 24×7 काम नहीं किए बिना 24 महीनों में काम पूरा नहीं होगा।’