इजरायल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष का असर पश्चिम एशिया के दूसरे क्षेत्रों खासतौर पर ईरान जैसे देशों पर भी पड़ सकता है। इस वजह से चाय निर्यातकों की चिंता बढ़ गई है।
इजरायल में चाय निर्यात न के बराबर होता है लेकिन निर्यातकों को आशंका है कि अगर इस युद्ध का असर भारतीय चाय के प्रमुख खरीदारों में से एक देश ईरान पर पड़ता है तो इससे चाय उद्योग पर भी असर पड़ेगा।
जनवरी-दिसंबर 2022 के दौरान सबसे ज्यादा भारतीय चाय का निर्यात, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में 4.23 करोड़ किलोग्राम, रूस में 4.11 करोड़ किलोग्राम और ईरान में 2.16 करोड़ किलोग्राम हुआ। ईरान को कुछ चाय यूएई के जरिये भी भेजी जाती है जो दोबारा निर्यात करने वाला प्रमुख केंद्र है।
भारतीय चाय निर्यातकों के संगठन के अध्यक्ष अंशुमन कनोडिया ने कहा कि निर्यातक इस स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और उनकी चिंता भी बढ़ रही है। उन्होंने कहा, ‘ईरान पर कोई भी प्रभाव चिंता का विषय होगा। कई ऑर्डर लंबित हैं, ऐसे में हमें थोड़ा इंतजार करना होगा।’
हमास के हमले में ईरान की कथित संलिप्तता की खबरें अंतरराष्ट्रीय मीडिया में आई हैं। हालांकि, इजरायली सेना ने कहा है कि इस हमले में ईरान की भागीदारी के कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं। लेकिन संघर्ष बढ़ने से देश के चाय उद्योग के लिए परेशानी खड़ी होने की पूरी संभावना है।
ईरान मुख्य रूप से एक परंपरागत चाय बाजार है। यहां सबसे ज्यादा निर्यात असम से किया जाता है लेकिन इस क्षेत्र में दक्षिण भारत की भी हिस्सेदारी है।
साउथ इंडिया टी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शाह ने कहा कि उद्योग में डर का माहौल है। उन्होंने कहा, ‘निर्यातक जल्द से जल्द माल भेजना चाहते हैं। लेकिन भुगतान को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है और यह भी आशंका है कि माल की आवाजाही में कोई गड़बड़ी न हो। दक्षिण भारत का परंपरागत सीटीसी चाय का निर्यात दुबई को हो रहा है और इसके बाद यहां से ईरान और इराक जैसे देशों को फिर से निर्यात किया जाएगा।’
एशियन टी कंपनी के निदेशक मोहित अग्रवाल ने कहा, ‘ईरान पर हमारी निर्भरता की वजह से चाय निर्यातकों के बीच काफी घबराहट है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह क्षेत्र संघर्ष में न फंसे।’ एशियन टी भारतीय चाय के शीर्ष निर्यातकों में से एक है।
एमके शाह एक्सपोर्ट्स के चेयरमैन हिमांशु शाह ने कहा कि ईरान पिछले साल के स्तर पर खरीदारी नहीं कर रहा है बल्कि यह 2021 के मूल्य स्तर पर खरीदारी कर रहा है। एम के शाह देश में परंपरागत चाय के सबसे बड़े उत्पादकों और निर्यातकों में से एक है।